लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से तेजस्वी यादव 'लापता', ज्वलंत मुद्दों पर नहीं आ रहे बयान

By एस पी सिन्हा | Published: June 13, 2019 07:32 PM2019-06-13T19:32:50+5:302019-06-13T19:34:29+5:30

हालात ये हैं कि चुनावी नतीजे आने के बाद से बिहार में कई बड़े मुद्दे निकल कर सामने आये, लेकिन विपक्ष की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. बिहार में प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाने वाली पार्टी राजद और उनके प्रमुख नेता विपक्ष की भूमिका निभाने में पूरी तरह फेल नजर आते दिख रहे हैं.

RJD leader Tejashwi Yadav not seem active on social media or Vivid Issues after Lok Sabha Elections Results | लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से तेजस्वी यादव 'लापता', ज्वलंत मुद्दों पर नहीं आ रहे बयान

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की फाइल फोटो।

बिहार के मुजफ्फरपुर में हो रहे बच्चों की मौत पर जहां हर तरफ आवाज उठाई जा रही है. वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष इस मामले पर मौन है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव चुनाव के समय मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर ट्वीट कर सरकार को घेरते थे, लेकिन चुनाव में मिली हार के बाद से वह भी शांत हैं. लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद तेजस्वी यादव ने 28 मई को पार्टी की समीक्षा बैठक में शिरकत की थी, लेकिन उसके बाद से वह लगातार 'लापता' हैं. तेजस्वी यादव कहां हैं? यह भी किसी को पता नहीं है.

हालात ये हैं कि चुनावी नतीजे आने के बाद से बिहार में कई बड़े मुद्दे निकल कर सामने आये, लेकिन विपक्ष की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. बिहार में प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाने वाली पार्टी राजद और उनके प्रमुख नेता विपक्ष की भूमिका निभाने में पूरी तरह फेल नजर आते दिख रहे हैं. 11 जून को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के मौके पर दिल्ली में पार्टी दफ्तर में बर्थडे केक काटा गया. लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती वहां पहुंचीं और उन्होंने केक काटा. लेकिन लालू की राजनीतिक विरासत संभाल रहे तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे. हालांकि, लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन पर तेजस्वी ने एक ट्वीट जरूर किया जिसमें, उन्होंने पिता लालू प्रसाद यादव को बधाई दी. लेकिन सवाल यह है कि पूरे चुनाव के दौरान सबसे मुखर रहने वाले, नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसने वाले, बिहार के भविष्य के नेता कहे जाने वाले, तेज-तर्रार तेजस्वी अचानक गुम क्यों हो गए हैं? 

ऐसे में जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि दरअसल, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने बडबोलेपन के कारण हुई फजीहत से अपना मुंह छिपाए बैठे हैं. पूरे चुनाव के दौरान जिस तरह से उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 'पलटू चाचा' और 'चाचा 420' जैसी बातों से संबोधित किया. लोकसभा चुनाव नतीजों में जनता ने जिस अंदाज में महागठबंधन को मुंह की दिखाई, इससे तेजस्वी यादव परेशान हैं. वह मीडिया और लोगों के सामने आने से लगातार बच रहे हैं. चुनाव खत्म होने के बाद 29 मई को हुई महागठबंधन की बैठक का कांग्रेस ने जिस अंदाज में बायकाट किया, यह भी तेजस्वी के गुम होने का एक बडा कारण है. वहीं, कांग्रेस ने परोक्ष रूप से ही सही तेजस्वी यादव को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा दिया है.

इसके पीछे कारण यह है कि राहुल गांधी ने कई बार कहा था कि बिहार में पार्टी तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही चुनाव लड रही है. लेकिन चुनाव नतीजों ने तेजस्वी के नेतृत्व क्षमता की पोल खोल दी. वहीं, हार की समीक्षा के लिए बुलाई गई हम की बैठक में पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता मानने से इनकार कर दिया था. मांझी ने कहा था कि महागठबंधन में फिलहाल कोई नेता नहीं है. लोकसभा का चुनाव सभी ने अपनी-अपनी ताकत के आधार पर लडा. महागठबंधन के नेता का चयन विधानसभा चुनाव के वक्त होगा.

वैसे कहा जा रहा है कि लालू यादव की गैर-मौजूदगी में जिस तरह से तेजस्वी यादव ने पार्टी की कमान संभाली, इससे परिवार के भीतर ही घमासान मच गया. मीसा भारती को पाटलिपुत्र संसदीय सीट से चुनाव लडने या न लडने को लेकर जिस तरह की बहसबाजी हुई. तेजस्वी अपनी बडी बहन और बडे भाई को अनुशासन का पाठ पढाने लगे, यह भी एक बडा कारण है. दरअसल, जिस तरह से पार्टी की करारी हार हुई इसके एकमात्र जिम्मेदार अब तेजस्वी ही माने जा रहे हैं. वहीं, तेजस्वी के बडे भाई तेज प्रताप ने कहा था कि वह सिर्फ उन्हें सुझाव देने की हैसियत रखते हैं न कि कोई निर्णायक भूमिका की. उन्होंने पार्टी में हो रही अपनी उपेक्षा की पीडा जाहिर कर दी थी. लेकिन चुनाव नतीजों के बाद उन्होंने छात्र राजद का चुनाव करवाकर अपनी सक्रियता के सबूत दे दिए हैं. अब जबकि तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन की करारी शिकस्त हुई है, ऐसे में तेजप्रताप की उपेक्षा करना तेजस्वी के लिए मुश्किलें खडी कर सकता है.

इसबीच, सीईटी और टीईटी के अभ्यर्थी लगातार लाठी खा रहे हैं. मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत हो रही है. बिहार में हत्या, लूट की घटनाएं बढ रही हैं. जमुई में नाबालिग की हत्या जैसे कई बडे मामले बिहार में घटित हुए लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ना खुद सामने आ रहे हैं, ना ही उनके वह ट्वीट्स जो चुनाव के समय सुर्खियां बटोरते थे. लेकिन वह लापता हैं. वहीं विपक्ष का कोई भी नेता मुजफ्फरपुर में उन मासूमों के परिजनों को सांत्वना देने नहीं पहुंचा, जिन्होंने ये दुनिया छोड दी है. किसी ने भी विपक्ष की भूमिका निभाने की जिम्मेदारी उठाने की कोशिश नहीं की. ऐसे में सवाल तेजस्वी यादव पर उठने लगा है कि आखिर, वह नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठें हैं, फिर उनका कोई बयान क्यों नही सामने आ रहा है? तेजस्वी यादव हैं, इस बारे में ना तो पार्टी के किसी कार्यकर्ता और ना ही किसी बडे नेता को पता है.

Web Title: RJD leader Tejashwi Yadav not seem active on social media or Vivid Issues after Lok Sabha Elections Results