लालू यादव के खिलाफ जेल मैनुअल उल्लंघन, हेमंत सरकार को फटकार, मजिस्ट्रेट की नियुक्ति क्यों, अगली सुनवाई 5 फरवरी को
By एस पी सिन्हा | Published: January 22, 2021 04:02 PM2021-01-22T16:02:21+5:302021-01-22T16:03:34+5:30
झारखण्ड हाईकोर्ट ने तल्ख सवाल करते हुए पूछा कि आखिर का लालू प्रसाद यादव के लिए मजिस्ट्रेट की नियुक्ति क्यों की गई है?
रांचीः बहुचर्चित चारा घोटाला के आरोपी व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के जेल मैनुअल उलंघन मामले में आज झारखण्ड हाईकोर्ट में माननीय न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई हुई.
जिसमें कोर्ट ने जेल आईजी को तलब करते हुए पूछा कि लालू प्रसाद यादव की सुरक्षा को लेकर जेल में क्या व्यवस्था की गई है और कौन-कौन सी सुविधा दी जा रही है? जिस पर सरकार की ओर से जवाब दिया गया है कि उनकी सुरक्षा में 3 शिफ्टों में 3 पुलिसकर्मी ड्यूटी करते हैं. इसके अलावा एक मजिस्ट्रेट की भी नियुक्ति की गई है.
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जेल मैनुअल में संशोधन के कारण जेल महानिरीक्षक ने रिपोर्ट के माध्यम से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) प्रस्तुत किया. इस पर हाईकोर्ट ने इससे जुडे़ मामले में पूछताछ की और एसओपी में सुधार कर गृह सचिव से अनुमोदन के साथ प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 फरवरी की तिथि निर्धारित की
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 फरवरी की तिथि निर्धारित की. वहीं, हाईकोर्ट ने तल्ख सवाल करते हुए पूछा कि आखिर का लालू प्रसाद यादव के लिए मजिस्ट्रेट की नियुक्ति क्यों की गई है? इस पर सरकार के वकीलों ने बताया कि लालू प्रसाद यादव के कारण जेल की कानून व्यवस्था खराब होने की संभावना थी.
इसे देखते हुए मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की गई है, ताकि जल्द फैसला लिया जा सके. इस दौरान रिम्स की ओर से लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य को लेकर रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई. जिसका जवाब दाखिल करने का निर्णय लिया गया है. आज अदालत ने जेल में कैदियों को मिलने वाली सुविधा को लेकर जेल आईजी को गृह सचिव से अनुमोदन के साथ संशोधित एसओपी सौंपने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य के बिंदु पर रिम्स से पुनः ज़बाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया है.
अदालत के आदेश को हल्के में नहीं लेने का भी निर्देश दिया
वहीं, अदालत ने सरकार के अधिवक्ता को नाराजगी जाहिर करते हुए अदालत के आदेश को हल्के में नहीं लेने का भी निर्देश दिया. पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की थी कि सरकार व्यक्ति विशेष से नहीं चलती है. कानून से चलती है.
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि सरकार अब जेल मैनुअल में बदलाव कर रही है और तब तक एक एसओपी तैयार की जा रही है. इस पर अदालत ने सरकार को 22 जनवरी तक जेल मैनुअल में बदलाव और अपडेट एसओपी की जानकारी मांगी थी. इसके साथ ही जेल आइजी और रिम्स प्रबंधन से भी रिपोर्ट की मांग की गई थी.
रिम्स प्रबंधन को स्वयं निर्णय लेने की जगह पहले इसकी जानकारी जेल प्रशासन को देनी चाहिए थी
यहां बता दें कि लालू प्रसाद यादव को कोरोना संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए बिना किसी उच्च अधिकारियों से विचार-विमर्श के ही रिम्स निदेशक के केली बंगले में शिफ्ट किए जाने पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी. अदालत ने कहा था कि कोरोना संक्रमण का खतरा होने की स्थिति में रिम्स प्रबंधन को स्वयं निर्णय लेने की जगह पहले इसकी जानकारी जेल प्रशासन को देनी चाहिए थी. इसके बाद लालू प्रसाद यादव को शिफ्ट किया जाता. रिम्स प्रबंधन ने लालू को निदेशक बंगले में शिफ्ट करने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई?
अदालत में सुनवाई के दौरान जेल आइजी और एसएसपी की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में अदालत को जानकारी दी गई थी कि कोरोना के बढते संक्रमण के कारण रिम्स प्रबंधन ने लालू प्रसाद यादव को निदेशक बंगले में शिफ्ट किया था. जेल से बाहर इलाज के लिए यदि कैदी शिफ्ट किए जाते हैं तो उसकी सुरक्षा और उसके लिए क्या व्यवस्था होगी?
जेल मैनुअल में इसका स्पष्ट प्रावधान नहीं है. जेल के बाहर सेवादार दिया जा सकता है या नहीं? इसकी भी जेल मैनुअल में स्पष्ट जानकारी नहीं है. अब जेल मैनुअल में बदलाव किया जा रहा है और तब तक एक एसओपी तैयार की जा रही है.
यहां उल्लेखनीय है कि लालू यादव के विरोधी यह आरोप लगाते रहे हैं कि झारखंड की हेमंत सरकार जेल में रहते हुए राजद प्रमुख को तमाम सुविधाएं मुहैया करा रही हैं. जेल मैनुअल का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है और लालू यादव यहां आकर इलाज के नाम पर अपना दरबार सजा रहे हैं.