अब कोर्ट ने लगाई उत्तराखंड में राफ्टिंग पर रोक, करोबार से जुड़े लोगों पर पड़ेगा असर
By भाषा | Published: June 23, 2018 04:11 AM2018-06-23T04:11:40+5:302018-06-23T04:11:40+5:30
रिवर राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग जैसे साहसिक खेलों के नियमन की आवश्यकता रेखांकित करते हुए न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने हाल ही में राज्य सरकार को दो हफ्ते के अंदर साहसिक खेलों के लिए पारदर्शी नीति बनाने का आदेश दिया।
नैनीताल/देहरादून, 23 जूनः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने साहसिक खेलों पर उत्तराखंड सरकार के पारदर्शी नीति बनाने तक के लिए राज्य में नदी में राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग करने पर रोक लगा दी है। इस कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि इसका उन पर काफी प्रभाव पड़ेगा।
रिवर राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग जैसे साहसिक खेलों के नियमन की आवश्यकता रेखांकित करते हुए न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने हाल ही में राज्य सरकार को दो हफ्ते के अंदर साहसिक खेलों के लिए पारदर्शी नीति बनाने का आदेश दिया।
पीठ ने कहा कि जबतक यह नीति बन नहीं जाती है तबतक राज्य में नदी राफ्टिंग और जल संबंधी अन्य खेलों की इजाजत नहीं होगी। राफ्टिंग एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र रावत ने कहा कि नदी राफ्टिंग से करीब 40,000 लोगों का रोजगार जुड़ा था जिससे गढ़वाल क्षेत्र के टिहरी और पौड़ी गढ़वाल जिलों के गंगा से जुड़े इलाकों से विस्थापन लगभग बंद हो गया था।
उन्होंने कहा कि राफ्टिंग पर प्रतिबंध से राज्य से लोगों का विस्थापन और बढ़ेगा। राज्य में करीब 281 कंपनियां राफ्टिंग के कारोबार से जुड़ी हैं।
अदालत का यह आदेश एक जनहित याचिका पर आया है जिसमें गंगा नदीतल क्षेत्र में निजी पक्षों के पक्ष में अवैध लीज जारी करने का आरोप लगाया गया है। याचिका में दलील दी गयी है कि गंगा नदी के तट पर निजी ढांचे खड़े करने दिये गये हैं और बिना वैध अनुमति के निजी उद्यमी नदी में राफ्टिंग कराते हैं।
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