सेना के पूर्व अधिकारी की तिहाड़ जेल में मौत पर गहराया सस्पेंस, चीन के लिए जासूसी का भी आरोप
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 12, 2019 12:40 PM2019-11-12T12:40:00+5:302019-11-12T12:40:00+5:30
मुकेश चोपड़ा को 2 नवंबर को दिल्ली कैंटोनमेंट के मानिकशॉ सेंटर में 'रणनीति संबंधित' किताबें चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कनाडा रहने वाले मुकेश चोपड़ा से इसके बाद तीन दिन तक पुलिस की हिरासत में पूछताछ भी हुई थी।
पिछले हफ्ते तिहाड़ जेल में सेना से हट चुके कैप्टन मुकेश चोपड़ा की मौत के मामले में पुलिस सूत्रों के हवाले से ये खबर आई है कि वे किसी सोशल मीडिया ऐप के जरिए चीन के किसी शख्स से संपर्क में थे और उनकी उससे लगातार बातचीत हो रही थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार जांच में ये भी पता चला है कि वह एविएशन रिसर्च सेंटर के एक गेस्ट गहास में ठहर चुके थे। इस गेस्ट हाउस के कमरे को एक रिटायर्ड अफसर द्वारा बुक कराया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मुकेश चोपड़ा को 2 नवंबर को दिल्ली कैंटोनमेंट के मानिकशॉ सेंटर में 'रणनीति संबंधित' किताबें चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कनाडा रहने वाले मुकेश चोपड़ा से इसके बाद तीन दिन तक पुलिस की हिरासत में पूछताछ भी हुई थी। उन्हें 6 नवंबर को न्यायिक हिरासत में भेजा गया और फिर इसके अगले दिन उनकी मौत हो गई। मुकेश चोपड़ा के वकील और भाई ने हत्या की परिस्थितियों को लेकर सवाल उठाये हैं। साथ ही पुलिस के इस आशंका पर भी उन्होंने सवाल खड़े किये हैं कि वे चीन के लिए जासूस कर रहे थे।
Delhi: Retired Indian Army officer, 64-yr-old Mukesh Chopra who was arrested in a theft case earlier this month has allegedly committed suicide in Tihar Jail.Magisterial inquiry underway.
— ANI (@ANI) November 12, 2019
मुकेश चोपड़ा के वकील दीपक त्यागी ने 8 नवंबर को तिहाड़ जेल के इस दावे पर भी सवाल खड़े किये कि मुकेश ने जेल की बिल्डिंग से कूद कर अपनी जान दी। दीपक त्यागी के अनुसार, 'अगर उन्होंने उन पर चीनी सरकार के लिए जासूसी का आरोप लगाया गया था तो उन्हें एक सुरक्षित वार्ड में रखा जाना चाहिए था। हमें ये भी पता चला है कि अस्पताल जाने के बावजूद उन्हें ठीक से चिकित्सीय सुविधाएं नहीं दी गईं।'
वहीं, मुकेश चोपड़ा के भाई का आरोप है, 'मेरे भाई से रोज करीब 15 घंटे पूछताछ हुई। वह केवल पांच घंटे सो पाते थे। मेरे भाई भारतीय सेना में पूर्व अफसर रहे हैं और अब उन्हें जासूस कहा रहा है।'
वहीं पुलिस का कहना है कि चोपड़ा को हिरासत में लेने के बाद उनसे चार मोबाइल बरामद किये गये। एक अधिकारी के अनुसार, 'चोपड़ा ने खुलासा किया था कि उन्होंने पैराशूट रेजिमेंट में कैप्टन के तौर पर अपनी सेवाएं दी थी और लेह में पोस्टेड रहे थे। वह 1983 में सर्विस से हटे। उनका दावा था कि छतरपुर और ग्रेटर कैलाश में उनकी संपत्ति है। उन्होंने ये भी दावा किया था कि उनके पास 65 करोड़ फिक्स्ड डिपोजिट है।'
पुलिस के अनुसार चोपड़ा अपनी पत्नी और बेटी 1983 में कनाडा चले गये थे और बाद में अमेरिका का पासपोर्ट भी हासिल कर लिया था। चोपड़ा 31 अक्टूबर को हांगकांग होते हुए दिल्ली पहुंचे थे। उन्हें एयरपोर्ट पर एक रिटायर अफसर ने रिसीव किया था। मुकेश चोपड़ा ने उनके बेटों को अमेरिका और कनाडा में नौकरी खोजने में मदद की थी।