राजस्थान में 49 नगर निकाय चुनाव के नतीजे आज, शहरों में किसकी सत्ता चाहती है जनता?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: November 19, 2019 05:53 AM2019-11-19T05:53:15+5:302019-11-19T05:53:15+5:30
राजस्थान की कुल 49 निकायों के लिए 16 नवंबर 2019 को चुनाव हुए थे. इनमें 28 नगर पालिका, 18 नगर परिषद एवं 3 नगर निगम शामिल हैं.
देश में बीजेपी की तो, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, राजस्थान नगर निकाय के चुनाव हो चुके हैं और कल मंगलवार को मतगणना के बाद पता चलेगा कि जनता शहरों में किसकी सत्ता चाहती है. प्रदेश की 49 नगर निकायों में गत शनिवार को हुए मतदान में कुल 71.53 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था.
वैसे तो ये चुनाव कांग्रेस और भाजपा, दोनों के लिए इसलिए खास हैं कि जहां कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के सियासी झटके पर मरहम लगाना है, वहीं बीजेपी को अपना शहरी दबदबा बचाए रखना है. यही नहीं, इन चुनावों के नतीजे निकट भविष्य में होने वाले पंचायत चुनावों की भी सियासी दिशा तय करेंगे.
हालांकि, इन स्थानीय चुनावों में दलों से ज्यादा दलबदलुओं के कारण हार-जीत के नतीजे प्रभावित होते रहे हैं. इस बार दोनों ही दलों में घोषित-अघोषित बागियों की अच्छी-खासी संख्या है, लिहाजा चुनावी नतीजों का उूंट किस करवट बैठेगा, कहना मुश्किल है.
जहां तक मुद्दों का सवाल है, तकरीबन सभी जगह सड़क, सफाई, गंदगी जैसे स्थानीय मुद्दों का ही जोर रहा है, लेकिन तमाम मुद्दों पर फिर भी व्यक्तिवाद ही भारी है. इस चुनाव में पार्टी से भी ज्यादा उम्मीदवार की पहचान का महत्व रहा है. जो उम्मीदवार है, उसका अपने क्षेत्र में कितना प्रभाव है, कितनी पहचान है, कितना सेवाभावी है, इसी के आधार पर परिणाम आएंगे.
उल्लेखनीय है कि राजस्थान की कुल 49 निकायों के लिए 16 नवंबर 2019 को चुनाव हुए थे. इनमें 28 नगर पालिका, 18 नगर परिषद एवं 3 नगर निगम शामिल हैं. सभी निकायों में मतदान शांतिपूर्ण सम्पन्न होने की जानकारी देते हुए राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त पीएस मेहरा ने बताया था कि सर्वाधिक मतदान अजमेर जिले की नसीराबाद नगरपालिका में 91.57 प्रतिशत दर्ज हुआ था, जबकि सबसे कम उदयपुर नगर निगम में 57.84 प्रतिशत मतदान हुआ था.
वर्ष 2014 में हुए 46 नगर निकायों में से जयपुर, जोधपुर और कोटा में चुनाव स्थगित किए जाने के कारण 43 नगर निकाय और 6 नवगठित नगर पालिकाओं सहित 49 निकायों में चुनाव अभी संपन्न हुए हैं. इन नतीजों के साथ ही सियासी जोड़तोड़ की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो जाएगी और जीत दर्ज करवाने वाले निर्दलियों पर सभी दलों की खास नजर रहेगी, क्योंकि घोषित कार्यक्रम के अनुसार 26 नवंबर को अध्यक्ष और 27 नवंबर को उपाध्यक्ष का चुनाव होगा.