रिपोर्ट में हुआ खुलासा, बीजेपी समर्थकों द्वारा पत्रकारों पर हमले के मामले बढ़े, 2018 में छह की गई जान
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: April 19, 2019 06:26 AM2019-04-19T06:26:56+5:302019-04-19T06:26:56+5:30
2018 में पत्रकारों की मौत की खबरों सुर्खियों में रहीं। इस पर अब रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्डर्स’ की सालाना रिपोर्ट पेश की गई है।
2018 में पत्रकारों की मौत की खबरों सुर्खियों में रहीं। इस पर अब रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्डर्स’ की सालाना रिपोर्ट पेश की गई है। इस रिपोर्ट में भारत प्रेस की आजादी के मामले में दो पायदान खिसक गया है।
180 देशों में भारत का स्थान 140वां है। गुरुवार को पेश की गई इस रिपोर्ट के अनुसार भारत नें चुनाव प्रचार के पत्रकारों के ऊपर खतरे के निशान हैं। ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2019’ में नॉर्वे शीर्ष पर है। इसमें पाया गया है कि दुनिया भर में पत्रकारों के प्रति दुश्मनी की भावना बढ़ी है। जिस कारण से 2018 में भारत में करीब 6 पत्रकारों ने अपनी जान हत्या के कारण गवाई है।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रेस स्वतंत्रता की आज की स्थिति में से एक पत्रकारों के खिलाफ हिंसा है जिसमें पुलिस की हिंसा, माओवादियों के हमले, अपराधी समूहों या भ्रष्ट राजनीतिज्ञों का प्रतिशोध शामिल है। जबकि काम के कारण 2018 नें छह पत्रकारों की जान गई। वहीं, सातवें के मामले में अभी तक संदेह बना हुआ है कि वह हत्या थी या नहीं।
इसमें आरोप लगाया गया है कि 2019 के आम चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ बीजेपी के समर्थकों द्वारा पत्रकारों पर हमले बढ़े हैं। पेरिस स्थित रिपोर्ट्स सैन्स फ्रंटियर्स (आरएसएफ) या रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्ड्स एक गैर लाभकारी संगठन है जो दुनिया भर के पत्रकारों पर हमलों का दस्तावेजीकरण करने और मुकाबला करने के लिए काम करता है। 2019 के रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्ड्स ने पाया कि पत्रकारों के खिलाफ घृणा हिंसा में बदल गई है जिससे दुनिया भर में डर बढ़ा है।
इसमें कहा गया है कि जिन क्षेत्रों को प्रशासन संवेदनशील मानता है वहां रिपोर्टिंग करना बहुत मुश्किल है जैसे कश्मीर। वहीं, दक्षिण एशिया से, प्रेस की आजादी के मामले में पाकिस्तान तीन पायदान लुढ़कर 142 वें स्थान पर है जबकि बांग्लादेश चार पायदान लुढ़कर 150वें स्थान पर है। नॉर्वे लगातार तीसरे साल पहले पायदान पर है जबकि फिनलैंड दूसरे स्थान पर है।