'पत्नी अगर शाखा चूड़ी और सिंदूर लगाने से इनकार करे तो, मतलब उसे विवाह नहीं स्वीकार', गुवाहाटी HC की टिप्पणी

By स्वाति सिंह | Published: June 29, 2020 05:30 PM2020-06-29T17:30:12+5:302020-06-29T17:33:36+5:30

हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि हिंदू विवाह की प्रथा के तहत, एक महिला जो हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी में शामिल हुई है, और जिसे उसके साक्ष्य में प्रतिवादी द्वारा इनकार नहीं किया गया है, उसके 'संख और सिंदूर' पहनने से इनकार करने को अपीलकर्ता के साथ विवाह को स्वीकार करने से इनकार करने का संकेत माना जाएगा।

Refusal by wife to wear sakha and sindoor signifies refusal to accept marriage: Gauhati HC | 'पत्नी अगर शाखा चूड़ी और सिंदूर लगाने से इनकार करे तो, मतलब उसे विवाह नहीं स्वीकार', गुवाहाटी HC की टिप्पणी

हाई कोर्ट से पहले फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक याचिका खारिज कर दी थी।

Highlightsकोर्ट ने कि हिंदु रीति रिवाज के अनुसार शादी के बाद महिला यदि सिंदूर व शंख पहनने से मना करती है तो इसका मतलब है कि उसे विवाह अस्वीकार है।गुवाहाटी हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी ने एक शख्स की तलाक याचिका पर सुनवाई करते हुए की। 

गुवाहाटी: गुवाहाटी हाई कोर्ट ने सोमवार को अजीब फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कि हिंदु रीति रिवाज के अनुसार शादी के बाद महिला यदि सिंदूर व शंख पहनने से मना करती है तो इसका मतलब है कि उसे विवाह अस्वीकार है। गुवाहाटी हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी ने एक शख्स की तलाक याचिका पर सुनवाई करते हुए की। 

जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस सौमित्र सैकिया की डबल बेंच ने कहा कि इन परिस्थितियों में अगर पति को पत्नी के साथ रहने को मजबूर किया जाए तो यह उसका उत्पीड़न माना जा सकता है। हाई कोर्ट से पहले फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने पाया था कि पति पर कोई क्रूरता नहीं हुई है। 

हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि हिंदू विवाह की प्रथा के तहत, एक महिला जो हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी में शामिल हुई है, और जिसे उसके साक्ष्य में प्रतिवादी द्वारा इनकार नहीं किया गया है, उसके 'संख और सिंदूर' पहनने से इनकार करने को अपीलकर्ता के साथ विवाह को स्वीकार करने से इनकार करने का संकेत माना जाएगा।

पति ने आरोप-अलग रहने के लिए दबाव बनाती थी पत्नी  

कोर्ट में पति ने आरोप लगाया फरवरी 2012 में इस दंपति की शादी के एक महीने तक अपने रिश्तेदारों के साथ पति के घर में एक साथ रहने के बाद, पत्नी ने अलग से पति के साथ रहने की मांग उठाई। रिश्तेदारों के रिश्ते बिगड़ गए और पत्नी ने अक्सर झगड़े शुरू कर दिए और बच्चे न होने के लिए भी पति को दोषी ठहराया।

इसके बाद 2013 में ससुराल छोड़ दिया और पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ क्रूरता का मामला दर्ज किया। हालांकि, पति और रिश्तेदारों को बाद में उस मामले में बरी कर दिया गया था। इसके बाद पति ने आरोप लगाया कि उसने परिवार से अलग होने से इनकार किया तो दोनों के बीच झगड़े होने लगे।

पत्नी ने पति और ससुरालवालों के खिलाफ केस दर्ज कराया था 

पति ने कोर्ट में कहा कि पत्नी ने 2013 में उसका घर छोड़ दिया। उसके और उसके घरवालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। हालांकि पति और उसके रिश्तेदारों को बाद में पत्नी की ओर से लगाए गए आरोपों से हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। पति ने क्रूरता का हवाला देते हुए पत्नी से तलाक लेने की अलग याचिका दायर की। फैमिली कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।
 

Web Title: Refusal by wife to wear sakha and sindoor signifies refusal to accept marriage: Gauhati HC

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