पॉक्सो अधिनियम का निपटारा करने वाले न्यायाधीशों के प्रशिक्षण की अनुशंसा
By भाषा | Published: July 21, 2021 08:18 PM2021-07-21T20:18:31+5:302021-07-21T20:18:31+5:30
चेन्नई, 21जुलाई मद्रास उच्च न्यायालय ने पॉक्सो अधिनियम (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम) के तहत मामलों की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों को विशेष प्रशिक्षण देने की अनुशंसा की है ताकि वे उचित तरीके से और सही फैसला दे सकें।
न्यायमूर्ति पी वेलुमुरुगन ने यह अनुशंसा हाल में एक बच्ची से दुष्कर्म करने के एक आरोपी की फौजदारी अपील खारिज करते हुए की। आरोपी ने निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और सजा देने के फैसले को चुनौती दी थी। निचली अदालत ने फैसला दिया था कि अलग-अलग धाराओं में सुनाई गई सजा साथ-साथ चलेगी जबकि न्यायमूर्ति का कहना था कि सजा एक के बाद एक चलनी चाहिए।
न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘ यहां उल्लेख करना उचित होगा कि निचली अदालत के न्यायाधीश पीड़ित लड़की की उम्र पर संज्ञान लेने और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों की प्रासंगिकता को समझने में असफल रहे।’’
न्यायमूर्ति ने कहा कि कई मामलों में विशेष न्यायाधीश जो पॉक्सो अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई करते हैं, सही तरीके से उसकी व्यापकता और उद्देश्य को नहीं समझते हैं। पॉक्सो अधिनियम के तहत कोई भी मामला विशेष अदालत में विशेष न्यायाधीश के समक्ष भेजने से पहले जरूरी है कि उन्हें संवेदनशील बनाया जाए और तमिलनाडु राज्य न्यायिक अकादमी में इसका प्रशिक्षण दिया जाए।’’
उन्होंने रजिस्ट्रार जनरल और राज्य न्यायिक अकादमी के निदेशक को मुख्य न्यायाधीश की मंजूरी के बाद इस संबंध में कदम उठाने का निर्देश दिया।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।