Cyclone Amphan: पढ़ें साइक्लोन अम्फान ने बंगाल में कैसे मचाया था कहर

By भाषा | Published: June 2, 2020 04:43 PM2020-06-02T16:43:02+5:302020-06-02T16:43:02+5:30

चक्रवाती तूफान अम्फान आए लगभग दो सप्ताह बीत चुके हैं और दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप क्षेत्र के निश्चिंतपुर में अनाथालय चलाने वाले 50 वर्षीय करण मलबे में बदल चुकी छत की मरम्मत कराने और बच्चों के लिए नये बिस्तर इत्यादि खरीदने के लिए धन जमा करने की कोशिश कर रहे हैं।

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साइक्लोन अम्फान के चलते बंगाल में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है (लोकमत फाइल फोटो)

Highlightsकोविड महामारी के कारण आर्थिक हालत वैसे ही बुरी हो चली थी और अम्फान चक्रवात ने बंगाल के हालात बदतर कर दिए। अनाथालय चलाने वाले करण ने कहा कि उनके दो भाई भी बच्चों के लिए धन जुटाने में उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।ग्रामीणों द्वारा बच्चों, विशेषकर यौनकर्मियों के बच्चों से दुर्व्यवहार किए जाने को लेकर 'काकू' अक्सर दुखी हो जाते हैं।

कोलकाता: आनंदमन किसी अन्य अनाथालय की तरह ही था जहां कुछ अनाथ बच्चों की नोक-झोंक की आवाज आती रहती थी और एक अधेड़ आदमी के उंगली थामे वे बच्चे किसी बेहतर जिंदगी के सपने बुना करते रहते थे। जिंदगी मुश्किल थी, लेकिन कम से कम उन्हें रोज दो वक्त का भोजन, पहनने को कपड़े और पढ़ने को किताबें मिलती थी। फिर पश्चिम बंगाल के समुद्री तट पर राक्षसी चक्रवाती तूफान अम्फान आया और अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को तहस-नहस कर दिया। अम्फान ने आनंदमन के इस छोटे आशियाने को भी नहीं छोड़ा।

हाथों में किताबें समेटे दिलीप कुमार करण 20 अनाथ बच्चों के साथ तीन कमरों वाले अनाथालय के एक कोने में दुबक गए। मूसलाधार बारिश और तेज हवा के कारण उनके आशियाने की छत में दरारें पड़ने लगीं। कुछ देर बाद छत का बड़ा हिस्सा गिर गया और चार से 15 साल के अनाथ बच्चों का यह आशियाना उजड़ गया। अब वे खुले आसमान के नीचे थे, जहां बारिश की बूंदें उन्हें ऐसे चुभ रही थीं जैसे कोई मधुमक्खी डंक मार रही हो।

तूफान में उड़ा घर का एक हिस्सा

उन्होंने कहा कि जब तूफान आया, बच्चे बुरी तरह डर गए थे। मुझे समझ ही नहीं आया कि उन्हें संभालूं या उनके सामान बचाऊं। घर के एक हिस्से की छत उड़ गई थी। इसलिए हम सब एक साथ घर के दूसरे कोने में गए। थोड़ी ही देर में कमरा भी बारिश के पानी से भर गया।

आठ साल पहले अपनी बचत के पैसों से अनाथालय खोलने के लिए मोबाइल कंपनी की नौकरी छोड़ने वाले करण ने पीटीआई-भाषा को बताया कि हमें सामान्य होने में समय लगा लेकिन अब छत की मरम्मत कराने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। आनंदमन में रहने वाली छह साल की पियाली दास ने कहा कि जब काकद्वीप में तूफान आया वह और उनके दोस्त डर गए। गरजते हुए बादलों के साथ तेज आंधी से छत हवा में उड़ गई। डॉक्टर बनने का सपना संजोए पियाली को उसकी मां चार साल पहले बेचने जा रही थी तब किसी पंचायत सदस्य ने उसे बचा लिया था।

डॉक्टर क्यों बनना चाहती है, पूछे जाने पर स्थानीय प्राथमिक विद्यालय में कक्षा एक में पढ़ने वाली पियाली कहती है कि गांव में डॉक्टरों की जरुरत है। मैं किसी को कोरोना वायरस नहीं होने दूंगी। करण ने बताया कि तूफान के बाद कुछ ग्रामीण बच्चों की मदद के लिए आगे आए और उन्हें भोजन दिया। उन्होंने कहा कि सौभाग्यवश हमारे पास भोजन की कोई कमी नहीं हुई। लेकिन हम बच्चों के कपड़े, बर्तन और बिस्तर नहीं बचा पाए। अब बच्चों को नई चीजों की जरुरत है। बैसाखियों की मदद से चलने वाले बच्चों के काकू (चाचा) करण पिछले 10 दिनों में उन सभी लोगों के पास जा चुके हैं जिनसे उन्हें मदद की उम्मीद थी।

मदद करने आगे आए लोग

उन्होंने बताया कि कोलकाता के दो व्यापारियों ने छत बनाने में मदद करने का वादा किया, लेकिन लॉकडाउन के कारण यह योजना भी धरी की धरी रह गई। कोलकाता के बेहाला के अमित घोष ने कहा कि वह और उनकी दोस्त सुमन पॉल अक्सर बच्चों के लिए भोजन और किताबें लेकर आनंदमन जाते हैं।

घोष ने कहा कि उन्हें लगभग तीन साल पहले एक परिचित से 'आनंदमन' के बारे में पता चला, और तब से नियमित रूप से वह इस जगह जाते रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन के बाद से बहुत कुछ बदल गया है ... हमारे व्यवसाय प्रभावित हुए हैं। लेकिन हम अब भी बच्चों के लिए दो मंजिला पक्का मकान बनाने की योजना बना रहे हैं। इसमें कुछ लाख रुपये की लागत लगेगी। जल्द ही इस परियोजना को आगे बढ़ाने की योजना बनाते हैं।

एक स्थानीय पुलिस अधिकारी को जब अनाथालय की हालत के बारे में पता चला तो उन्होंने कहा कि चक्रवात प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों में खाद्यान्न और अन्य राहत सामग्री वितरित की गई थी और अधिक की व्यवस्था की जा सकती थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास स्टोर में तिरपाल हैं। अगर किसी को मदद की जरूरत है, तो वह हमसे संपर्क कर सकता है। हम वह सब करेंगे जो संभव है।’’

ग्रामीणों द्वारा बच्चों, विशेषकर यौनकर्मियों के बच्चों से दुर्व्यवहार किए जाने को लेकर 'काकू' अक्सर दुखी हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि मैं उनके लिए एक अच्छा भविष्य चाहता हूं। कुछ ग्रामीण हमेशा मेरे प्रयास में मेरी सहायता करने के लिए आगे आए हैं। जबकि स्कूल के कुछ शिक्षकों सहित कुछ ग्रामीण उन बच्चों को हीनता की दृष्टि से देखते हैं। यह देखकर बहुत दुख होता है। 

Web Title: Read how Cyclone Amfan caused havoc in Bengal

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