रविशंकर प्रसाद बोले- प्रधानमंत्री परमाणु हथियार पर फैसला ले सकते हैं, तो जज की नियुक्ति को लेकर उनपर भरोसा क्यों नहीं

By भाषा | Published: May 30, 2020 05:33 AM2020-05-30T05:33:41+5:302020-05-30T05:33:41+5:30

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को खारिज करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश के आधार पर प्रश्न उठाते हुए शुक्रवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बात पर हैरत जतायी कि जब प्रधानमंत्री देश के परमाणु हथियार के प्रयोग को लेकर निर्णय कर सकते हैं तो उन पर निष्पक्ष न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर भरोसा क्यों नहीं किया जा सकता?

ravi shankar prasad said respect collegium system but cant only as work post office | रविशंकर प्रसाद बोले- प्रधानमंत्री परमाणु हथियार पर फैसला ले सकते हैं, तो जज की नियुक्ति को लेकर उनपर भरोसा क्यों नहीं

रविशंकर प्रसाद बोले- प्रधानमंत्री परमाणु हथियार पर फैसला ले सकते हैं, तो जज की नियुक्ति को लेकर उनपर भरोसा क्यों नहीं

Highlightsरविशंकर प्रसाद ने इस बात पर हैरत जतायी कि जब प्रधानमंत्री देश के परमाणु हथियार के प्रयोग को लेकर निर्णय कर सकते हैं तो उन पर निष्पक्ष न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर भरोसा क्यों नहीं किया जा सकता?उच्चतम न्यायालय ने 2015 के एक फैसले में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति कॉलेजियम प्रणाली के जरिये करने की व्यवस्था को फिर से बहाल कर दिया था।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को खारिज करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश के आधार पर प्रश्न उठाते हुए शुक्रवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बात पर हैरत जतायी कि जब प्रधानमंत्री देश के परमाणु हथियार के प्रयोग को लेकर निर्णय कर सकते हैं तो उन पर निष्पक्ष न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर भरोसा क्यों नहीं किया जा सकता? उच्चतम न्यायालय ने 2015 के एक फैसले में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति कॉलेजियम प्रणाली के जरिये करने की व्यवस्था को फिर से बहाल कर दिया था।

खारिज किए गये कानून में न्यायिक नियुक्ति के मामले में कार्यपालिका को अधिक अधिकार दिए गए थे। प्रसाद ने कहा कि सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश का सम्मान करती है किंतु वह इस कानून को खारिज करने के तर्क से संतुष्ट नहीं है। प्रसाद ने ‘‘कोविड-19 के उपरांत भारत के लिए कानूनी एवं डिजिटल चुनौतियां’’ विषय पर प्रोफेसर एन आर माधव मेनन स्मृति व्याख्यान वीडियो के जरिये देते हुए कहा कि देश के 16 हजार से अधिक अदालतों के डिजिटलीकरण में सरकार का इससे संबंधित कार्यक्रम काफी उपयोगी साबित हुआ है। उन्होंने न्यायिक नियुक्ति आयोग के बारे में उच्चतम न्यायालय के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि नियुक्ति आयोग में कानून मंत्री एक सदस्य है लिहाजा उस पद से की गयी नियुक्ति तब निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ नहीं रहेगी जब सरकार के खिलाफ मुकदमा आयेगा।

प्रसाद ने कहा, ‘‘यदि कानून मंत्री के महज शामिल होने से नियुक्ति की वस्तुनिष्ठा पर सन्देह उठता हो तो यह एक बहतु ही विवादास्पद धारणा वाला सवाल है। हम सभी प्रधानमंत्री के प्रति जवाबदेह हैं क्योंकि वह सरकार के प्रमुख हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लोग प्रधानमंत्री पर भारत की शुचिता, अखंडता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भरोसा करते हैं। आप सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री के पास परमाणु बटन (परमाणु हथियार उपयोग करने के निर्णय का अधिकार) होता है। प्रधानमंत्री पर देश की बहुत सारी चीजों के लिए काम करने का भरोसा किया जा सकता है किंतु कानून मंत्री की सहायता प्राप्त (की सहायता से काम करने) वाले प्रधानमंत्री पर निष्पक्ष एवं वस्तुनिष्ठ न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए भरोसा नहीं किया जा सकता।’’

Web Title: ravi shankar prasad said respect collegium system but cant only as work post office

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