राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने तीन तलाक सहित इन चार अध्यादेशों को दी मंजूरी
By रामदीप मिश्रा | Published: February 21, 2019 07:28 PM2019-02-21T19:28:35+5:302019-02-21T19:28:35+5:30
मुस्लिम महिला दूसरा अध्यादेश के जरिये तीन तलाक को अमान्य और गैर-कानूनी करार दिया गया है। इसे एक दंडनीय अपराध माना गया है, जिसके तहत तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने गुरुवार (21 फरवरी) को चार अध्यादेशों को मंजूरी दे दी है। इनमें मुस्लिम महिला (मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्यादेश-2019, भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) दूसरा अध्यादेश-2019, कंपनी (संशोधन) दूसरा अध्यादेश- 2019, अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध से संबंधित अध्यादेश-2019 शामिल हैं।
मुस्लिम महिला दूसरा अध्यादेश
इस अध्यादेश के जरिये तीन तलाक को अमान्य और गैर-कानूनी करार दिया गया है। इसे एक दंडनीय अपराध माना गया है, जिसके तहत तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। यह अध्यादेश विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करेगा और उन्हें उनके पतियों के द्वारा तत्कालिक एवं अपरिवर्तनीय 'तलाक-ए-बिद्दत' के प्रचलन से तलाक दिए जाने से रोकेगा।
भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) दूसरा अध्यादेश
भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) दूसरा अध्यादेश, 2019 पूर्व में जारी अध्यादेश के प्रावधानों के अनुरूप संचालक मंडल बीओजी द्वारा शुरू किये गये कार्यों को आगे भी जारी रखने के लिए लागू किया गया है। यह अध्यादेश यह सुनिश्चित करेगा कि पूर्व अध्यादेश के प्रावधानों के तहत किये गये कार्य को मान्यता प्राप्त है और यह आगे भी जारी रहेगी। भारतीय चिकित्सा परिषद के निवर्तन के बाद गठित संचालक मंडल को दो वर्षों तक या परिषद के दोबार गठन तक जो भी पहले हो, तक उसके सभी अधिकारों का इस्तेमाल करने का अधिकार देता है। इसका उद्देश्य देश में चिकित्सा शिक्षा को ज्यादा पारदर्शी, गुणवत्ता युक्त और जवाबदेह बनाना है।
कंपनी (संशोधन) दूसरा अध्यादेश
देश में कानून का पालन करने वाली कंपनियों को कारोबारी सुगमता का माहौल प्रदान करने के साथ ही कंपनी कानून, 2013 की कॉरपोरेट गवर्नेंस और नियमों के अनुपालन की व्यवस्था को और सख्त बनाने के इरादे से कंपनी (संशोधन) दूसरा अध्यादेश 2019 लागू किया गया है। यह कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत अपराधों की समीक्षा करने वाली समिति की अनुशंसाओं पर आधारित है ताकि कंपनी अधिनियम 2013 में वर्णित कॉरपोरेट प्रशासन और अनुपालन रूपरेखा के महत्वपूर्ण कमियों को समाप्त किया जा सके और कानून का पालन करने वाले उद्यमों को व्यापार में आसानी की सुविधा प्रदान की जा सके।
अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अध्यादेश
इस अध्यादेश को देश में अवैध रूप से धनराशि जमा कराने वाली योजनाओं पर नकेल कसने के लिए केन्द्र की ओर से सख्त काननू लाने के इरादे से लागू किया गया है।अभी तक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को आम जनता से विभिन जमा योजनाओ के तहत पैसा जुटाने की सारी गतिविधियां केन्द्र और राज्य सरकारों की ओर से बनाए गए विभिन्न कानूनों के तहत करने की अनुमति मिली हुयी है जिनमें कोई एकरूपता नहीं है। जिसका लाभ फरेबी पोंजी कंपनियों लोगों को उनके जमा पर ज्यादा ब्याज देने का लालच देकर ठग रही हैं। ऐसे में नए अध्यादेश के जरिए ऐसी कंपनियों पर प्रतिबंध की प्रभावी व्यवस्था की गयी है। इसके जरिए ऐसी योजना पर तुरंत रोक लगाने और इसके लिए आपराधिक दंड का प्रावधान किया गया है।