रामचरितमानस विवादः हिंदू महासभा नेता ने स्वामी प्रसाद मौर्य की जीभ 'काटने' वाले को 51 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 24, 2023 07:04 AM2023-01-24T07:04:54+5:302023-01-24T07:10:10+5:30

अखिल भारत हिंदू महासभा के सदस्यों ने मौर्य के बयान के विरोध में सोमवार को आगरा में उनकी सांकेतिक अर्थी निकाली और उनके पुतले को यमुना में फेंक दिया। 

Ramcharitmanas controversy Hindu Mahasabha announces reward to cuts off Swami Prasad Maurya's tongue | रामचरितमानस विवादः हिंदू महासभा नेता ने स्वामी प्रसाद मौर्य की जीभ 'काटने' वाले को 51 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की

रामचरितमानस विवादः हिंदू महासभा नेता ने स्वामी प्रसाद मौर्य की जीभ 'काटने' वाले को 51 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की

Highlightsहिंदू महासभा ने कहा कि सपा नेता ने हमारे धार्मिक ग्रंथ का अपमान किया है और हिंदुओं की भावना आहत की है।हिंदू महासभा ने लखनऊ में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को प्रतिबंधित करने की बात कही थी।

आगराः समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों को कथित तौर पर भेदभाव वाला बताने के एक दिन बाद अखिल भारत हिंदू महासभा के स्थानीय नेता ने सोमवार को उनकी जीभ ‘काटने’ वाले को 51 हजार रुपये बतौर इनाम देने की घोषणा की।

महासभा के आगरा जिला प्रभारी सौरभ शर्मा ने कहा, ‘‘कोई भी साहसी व्यक्ति अगर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की जीभ काट देता है तो उसे 51 हजार रुपये का चेक बतौर इनामी राशि दी जाएगी। उन्होंने हमारे धार्मिक ग्रंथ का अपमान किया है और हिंदुओं की भावना आहत की है।’’ इस बीच, अखिल भारत हिंदू महासभा के सदस्यों ने मौर्य के बयान के विरोध में सोमवार को आगरा में उनकी सांकेतिक अर्थी निकाली और उनके पुतले को यमुना में फेंक दिया। 

सपा नेता पर एफआईआर दर्ज

 हिंदू महासभा ने लखनऊ में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है। लखनऊ के हजरतगंज थाने में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि कुमार त्रिवेदी ने एक पत्र भी लिखा है और मौर्य पर लाखों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।

क्या कहा था स्वामी प्रसाद मौर्य ने?

रामचरितमानस पर टिप्पणी करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था, "जिस दकियानूसी साहित्य में पिछड़ों और दलितों को गाली दी गई हो उसे प्रतिबंधित होना चाहिए। कई करोड़ लोग ऐसे हैं जो रामचरितमानस को नहीं पढ़ते हैं। सब बकवास है, जिसे तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को संज्ञान में लेते हुए रामचरित मानस से उसके आपत्तिजनक अंश को बाहर कर देना चाहिए या फिर इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।"

भाषा इनपुट के साथ

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