रमन सिंह ने कांग्रेस के इस दिग्गज नेता को हराकर मनवाया था लोहा, 'चाउर वाले बाबा' के नाम से पुकारती थीं महिलाएं

By भाषा | Published: December 11, 2018 08:25 PM2018-12-11T20:25:59+5:302018-12-11T20:25:59+5:30

चुनाव नतीजों के साथ ही रमन सिंह का 15 साल का कार्यकाल समाप्त हो गया और लंबे अरसे बाद प्रदेश में कांग्रेस की वापसी हो रही है। रमन सिंह को इस दौरान चाउर वाले बाबा, मोबाइल वाले बाबा, डाक्टर साहेब जैसे उपनाम भी मिले। उनके कार्यकाल में 50 लाख महिलाओं और छात्रों को मुफ्त स्मार्टफोन दिए गए थे।

Raman singh political journey is very interesting, defeated congress leader Moti lal vora in 1999 election | रमन सिंह ने कांग्रेस के इस दिग्गज नेता को हराकर मनवाया था लोहा, 'चाउर वाले बाबा' के नाम से पुकारती थीं महिलाएं

रमन सिंह ने कांग्रेस के इस दिग्गज नेता को हराकर मनवाया था लोहा, 'चाउर वाले बाबा' के नाम से पुकारती थीं महिलाएं

भाजपा के सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ की आबादी के एक बड़े हिस्से को लगभग मुफ्त चावल, मोबाइल फोन और मेडिकल परामर्श मुहैया कराया। लेकिन चौथे कार्यकाल के लिए मैदान में उतरे रमन सिंह का जादू इस बार नहीं चल सका। हालांकि एक और कार्यकाल के लिए प्रयासरत रमन सिंह ने इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पैर छुए और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आक्रामक चुनाव प्रचार को मनोरंजन बताकर खारिज कर दिया।

विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान रमन सिंह ने बसपा नेता मायावती के साथ गठबंधन को लेकर अपने पूर्ववर्ती अजीत जोगी पर भी निशाना साधा और कहा कि हल चलाने वाले किसानों को हाथी की जरूरत नहीं है। वह इस क्रम में दोनों दलों के चुनाव चिह्नों का जिक्र कर रहे थे।

चुनाव के नतीजे दिखाते हैं कि किसानों के साथ साथ राज्य के अन्य मतदाताओं ने भी इस बार ‘कमल’(भाजपा का चुनाव चिह्न) को पसंद नहीं किया और उन्होंने इसके स्थान पर कांग्रेस के ‘हाथ’को मजबूत किया।

चुनाव नतीजों के साथ ही रमन सिंह का 15 साल का कार्यकाल समाप्त हो गया और लंबे अरसे बाद प्रदेश में कांग्रेस की वापसी हो रही है। रमन सिंह को इस दौरान चाउर वाले बाबा, मोबाइल वाले बाबा, डाक्टर साहेब जैसे उपनाम भी मिले। उनके कार्यकाल में 50 लाख महिलाओं और छात्रों को मुफ्त स्मार्टफोन दिए गए थे।

मध्य प्रदेश को विभाजित कर 2000 में छत्तीसगढ़ का निर्माण किया गया था जहां पहले के तीन साल कांग्रेस का शासन रहा। उसके बाद लगातार 15 साल तक रमन सिंह सरकार के प्रमुख रहे।

उनका राजनीतिक सफर 1983 में शुरू हुआ और वह अपने कवर्धा (कबीरधाम) जिले में पार्षद चुने गए। वह अविभाजित मध्य प्रदेश में 1990 में विधायक बने और 1999 में लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा को पराजित किया।

सिंह को 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री नियुक्त किया गया। 2003 में उन्हें राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए वापस भेजा गया।

उस समय तत्कालीन केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव मुख्यमंत्री पद की होड़ में सबसे आगे थे। लेकिन उसी समय एक विवादित स्टिंग आपरेशन के बाद उनकी संभावना धूमिल हो गयी और सिंह मुख्यमंत्री बने।

सिंह के नेतृत्व में भाजपा एक बार फिर 2008 और 2013 में भी विजयी हुयी तथा उन्हें सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले भाजपा नेता का श्रेय मिला।

उनके कार्यकाल के दौरान कांग्रेस उन पर भ्रष्टाचार, नागरिक आपूर्ति घोटाला, चिटफंड मामला आदि को लेकर निशाना साधती रही। उनके पुत्र तथा भाजपा सांसद अभिषेक सिंह पर विदेशों में खाते रखने का भी आरोप लगा। लेकिन वह अपने लोकलुभावने कदमों के जरिए राज्य की सत्ता पर काबिज रहे।

उनकी सरकार को 2013 में उस समय तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा जब सुकमा क्षेत्र में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हुए हमले में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की मौत हो गयी थी।

सिंह का जन्म कवर्धा ज़िले में 15 अक्टूबर 1952 को हुआ था। उनके पिता अपने शहर के मशहूर वकील थे। सिंह ने 1975 में रायपुर के राजकीय आयुर्वेद कालेज से आयुर्वेदिक मेडिसिन में बी.ए.एम.एस. की डिग्री प्राप्त की।

Web Title: Raman singh political journey is very interesting, defeated congress leader Moti lal vora in 1999 election

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे