अपने नाम जमीन नहीं फिर भी खेती के लिए पैरोल मांग रहा राम रहीम, खट्टर सरकार ने दिखाया नरम रुख
By बलवंत तक्षक | Published: June 26, 2019 05:55 AM2019-06-26T05:55:48+5:302019-06-26T05:55:48+5:30
पैरोल देने के बारे में राज्य के गृह सचिव एस.एस.प्रसाद का कहना है कि संविधान में बलात्कारी को भी पैरोल का अधिकार है. दोषी को मां की मौत और किसी अन्य जरूरी कार्य की स्थिति में पैरोल दी जा सकती है. जिला प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और अब फैसला मंडल आयुक्त को करना है.
साध्वी यौन शोषण मामले में 20 साल की सजा काट रहे सिरसा के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम पैरोल पर जेल से बाहर आना चाहते हैं. वह सिरसा में खेती करने के नाम पर पैरोल मांग रहे हैं, जबकि उनके नाम पर जमीन का कहीं एक टुकड़ा तक नहीं है. इसके बावजूद हरियाणा सरकार का राम रहीम के प्रति रुख नरम है. बाबा को पैरोल देने पर राज्य के जेल मंत्री कृष्ण लाल पंवार को कोई ऐतराज नहीं है.
दरअसल,हरियाणा में अगले चार महीनों के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं. डेरा प्रेमियों का राज्य में एक बड़ा वोट बैंक है. भाजपा की नजर इस वोट बैंक पर है. विधानसभा चुनाव में यह वोट नतीजे प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में हरियाणा सरकार डेरा प्रमुख की पैरोल में कोई अड़ंगा नहीं डालना चाहती. लिहाजा विधानसभा चुनाव में 70 से अधिक सीट जीतने के लिए भाजपा चाहेगी कि डेरा प्रमुख को बाहर लाया जाए, भले ही वह खेती बाड़ी के बहाने ही क्यों न हो.
पैरोल देने के बारे में राज्य के गृह सचिव एस.एस.प्रसाद का कहना है कि संविधान में बलात्कारी को भी पैरोल का अधिकार है. दोषी को मां की मौत और किसी अन्य जरूरी कार्य की स्थिति में पैरोल दी जा सकती है. जिला प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और अब फैसला मंडल आयुक्त को करना है. इस बीच स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने भी पैरोल देने की पैरवी की है. उन्होंने कहा है कि फांसी की सजा पानेवाले व्यक्ति को भी पैरोल मिल सकती है. गुरमीत ने इससे पहले भी एक शादी में शामिल होने के लिए एक माह की पैरोल मांगी थी. उस समय हरियाणा सरकार ने विरोध किया था.
आवेदन पर किया जा रहा है विचार
उपायुक्त सिरसा के उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग का कहना है कि राम रहीम के पैरोल आवेदन पर विचार किया जा रहा है और इसे लेकर राजस्व तथा पुलिस विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है. रोहतक जेल में बंद राम रहीम ने अपने खेतों की देखभाल के लिए 42 दिन के पैरोल का अनुरोध किया है. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट ही बनेगी आधार डेरा प्रमुख की पैरोल का मुख्य आधार खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट ही होगी. रिपोर्ट के अनुसार ही सिरसा जिला प्रशासन अंतिम फैसला लेगा. सूत्रों की मानें तो खुफिया एजेंसियों की ओर से इनपुट जुटाए जा रहे हैं और वही रिपोर्ट पैरोल देने और नहीं देने का आधार बनेगी.