राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिदः मुस्लिम पक्ष ने कहा- हिन्दू पक्ष से नहीं बल्कि सिर्फ हमसे ही सवाल किए जा रहे है

By भाषा | Published: October 14, 2019 02:53 PM2019-10-14T14:53:58+5:302019-10-14T14:53:58+5:30

धवन ने कहा, ‘‘ माननीय न्यायाधीश ने दूसरे पक्ष से सवाल नहीं पूछे। सारे सवाल सिर्फ हमसे ही किये गये हैं। निश्चित ही हम उनका जवाब देंगे।’’ धवन के इस कथन का राम लला का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने जोरदार प्रतिवाद किया और कहा, ‘‘यह पूरी तरह से अनावश्यक है।’’

Ram Janmabhoomi-Babri Masjid: The Muslim side said - We are being questioned not only from the Hindu side but only | राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिदः मुस्लिम पक्ष ने कहा- हिन्दू पक्ष से नहीं बल्कि सिर्फ हमसे ही सवाल किए जा रहे है

सोमवार को 38वें दिन इस प्रकरण पर सुनवाई शुरू की जो 17 अक्टूबर तक जारी रहेगी।

Highlightsपीठ ने कहा कि विवादित स्थल पर लोहे की ग्रिल लगाने का मकसद बाहरी बरामद से भीतरी बरामदे को अलग करना था।यह तथ्य सराहनीय है कि हिन्दू बाहरी बरामदे में पूजा अर्चना करते थे जहां ‘राम चबूतरा’, ‘सीता रसोई’ ‘भण्डार गृह’ थे।

उच्चतम न्यायालय में सोमवार को राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने आरोप लगाया कि इस मामले में हिन्दू पक्ष से नहीं बल्कि सिर्फ हमसे ही सवाल किये जा रहे है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष 38वें दिन की सुनवाई शुरू होने पर मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने यह टिप्पणी की। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे़, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

धवन ने कहा, ‘‘ माननीय न्यायाधीश ने दूसरे पक्ष से सवाल नहीं पूछे। सारे सवाल सिर्फ हमसे ही किये गये हैं। निश्चित ही हम उनका जवाब देंगे।’’ धवन के इस कथन का राम लला का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने जोरदार प्रतिवाद किया और कहा, ‘‘यह पूरी तरह से अनावश्यक है।’’

धवन ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब संविधान पीठ ने कहा कि विवादित स्थल पर लोहे की ग्रिल लगाने का मकसद बाहरी बरामद से भीतरी बरामदे को अलग करना था। न्यायालय ने कहा कि लोहे का ग्रिल लगाने का मकसद हिन्दुओं और मुसलमानों को अलग-अलग करना था और यह तथ्य सराहनीय है कि हिन्दू बाहरी बरामदे में पूजा अर्चना करते थे जहां ‘राम चबूतरा’, ‘सीता रसोई’ ‘भण्डार गृह’ थे।

शीर्ष अदालत ने धवन के इस कथन का भी संज्ञान लिया कि हिन्दुओं को सिर्फ अंदर प्रवेश करने और स्थल पर पूजा अर्चना करने का ‘निर्देशात्मक अधिकार’ था और इसका मतलब यह नहीं है कि विवादित संपत्ति पर उनका मालिकाना हक था। पीठ ने सवाल किया कि जैसा कि आपने कहा कि उनके पास प्रवेश और पूजा अर्चना का अधिकार था, क्या यह आपके मालिकाना अधिकार को कमतर नहीं करता।

पीठ ने यह भी कहा कि संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व के मामले मे क्या किसी तीसरे पक्ष को प्रवेश और पूजा अर्चना का अधिकार दिया जा सकता है। संविधान पीठ दशहरा अवकाश के बाद सोमवार को 38वें दिन इस प्रकरण पर सुनवाई शुरू की जो 17 अक्टूबर तक जारी रहेगी।

संविधान पीठ अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है।

Web Title: Ram Janmabhoomi-Babri Masjid: The Muslim side said - We are being questioned not only from the Hindu side but only

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