अयोध्या विवाद: नवंबर में आएगा फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने आवेदनों में बदलाव पर पक्षकारों से 3 दिन में जवाब मांगा
By स्वाति सिंह | Published: October 16, 2019 05:10 PM2019-10-16T17:10:46+5:302019-10-16T17:15:46+5:30
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid Dispute: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मामले में 40 दिन तक सुनवाई करने के बाद दलीलें पूरी कर लीं। पीठ ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिये तीन दिन का समय दिया।
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (16 अक्टूबर) को आखिरकार सुनवाई पूरी हो गई। अदालत ने कहा कि आवेदनों में बदलाव पर पक्षकारों से लिखित में तीन दिन में जवाब मांगा है।
यह सुनवाई 40 दिनों तक चली और इस दौरान सभी पक्षों की ओर से कई दलीलें रखी गईं। सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई शाम 5 बजे तक होनी थी लेकिन तय समय से पहले शाम करीब 4 बजे ही सुनवाई पूरी हो गई। इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। माना जा रहा है कि ये फैसला 17 नवम्बर से पहले आ जाएगा क्योंकि सीजेआई 17 नवम्बर को रिटायर हो रहे हैं।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मामले में 40 दिन तक सुनवाई करने के बाद दलीलें पूरी कर लीं। पीठ ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिये तीन दिन का समय दिया।
इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। आज सुबह सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने कह दिया था कि वह पिछले 39 दिनों से अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुनवाई कर रही है और मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए किसी भी पक्षकार को आज (बुधवार) के बाद अब और समय नहीं दिया जाएगा। न्यायालय ने पहले कहा था कि सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी हो जाएगी।
बाद में इस समय सीमा को एक दिन पहले कर दिया गया। प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल 17 नवंबर को समाप्त हो रहा है। उल्लेखनीय है कि संविधान पीठ ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई की है।