राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादः राजीव धवन ने नक्शे का फाड़ दिया था, कार्रवाई के लिए हिन्दू पक्ष पहुंचा बीसीआई
By भाषा | Published: October 17, 2019 04:41 PM2019-10-17T16:41:57+5:302019-10-17T16:41:57+5:30
उच्चतम न्यायालय में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में अंतिम दिन की सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने बुधवार को कथित रूप से भगवान राम के जन्म स्थल को दर्शाने वाले एक नक्शे को फाड़ दिया था। अखिल भारत हिन्दू महासभा के एक घटक ने धवन की इस कार्रवाई की निन्दा करते हुये बार काउन्सिल आफ इंडिया को पत्र लिखा है।
अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन के खिलाफ कार्रवाई के लिये एक हिन्दू पक्षकार ने बार काउन्सिल आफ इंडिया में शिकायत की है।
उच्चतम न्यायालय में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में अंतिम दिन की सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने बुधवार को कथित रूप से भगवान राम के जन्म स्थल को दर्शाने वाले एक नक्शे को फाड़ दिया था। अखिल भारत हिन्दू महासभा के एक घटक ने धवन की इस कार्रवाई की निन्दा करते हुये बार काउन्सिल आफ इंडिया को पत्र लिखा है।
पत्र में धवन के इस कदम को ‘अत्यधिक अनैतिक कृत्य’’ बताया गया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष अखिल भारत हिन्दू महासभा के एक घटक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने इस मामले की सुनवाई के अंतिम दिन यह नक्शा दिखाया था। राजीव धवन ने इस पर आपत्ति की थी।
विकास सिंह द्वारा स्थलाकृति मानचित्र (पिक्टोरियल मैप) दिये जाने पर धवन ने न्यायालय कक्ष में ही उसे फाड़कर सनसनी पैदा कर दी थी। अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रमोद पंडित जोशी ने एक बयान में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने शीर्ष अदालत में पेश किये गये नक्शे की प्रति के टुकड़े टुकड़े करके अत्यधिक अनैतिक काम किया है।
धवन का यह कृत्य उच्चतम न्यायालय बार की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। बयान में बार काउन्सिल आफ इंडिया से अनुरोध किया गया है कि धवन के इस कृत्य का संज्ञान लिया जाये और उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाए। विकास सिंह द्वारा यह नक्शा पेश करने पर आपत्ति करते हुये धवन ने कहा था कि इस तरह के दस्तावेज को अब आधार नहीं बनाया जा सकता क्योंकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दूसरे दस्तावेजों पर ‘जन्मस्थान’ की स्थिति के मुद्दे पर विचार किया था।
धवन ने मानत्रिच को आधार बनाये जाने का पुरजोर विरोध किया तो सिंह ने कहा कि वह इस नक्शे को रिकार्ड पर लेने के लिये दबाव नहीं डालेंगे। यह नक्शा बिहार काडर के आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल की पुस्तक ‘अयोध्या रिविजिटेड’ का भी हिस्सा है। धवन ने तब संविधान पीठ से पूछा कि उन्हें अब इसका (नक्शे) क्या करना चाहिए तो पीठ ने कहा कि वह इस दस्तावेज के टुकड़े कर सकते हैं। इस पर राजीव धवन ने वकीलों और आगंतुकों से खचाखच भरे न्यायालय कक्ष में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अधिवक्ता द्वारा उपलब्ध कराया गया सचित्र नक्शा फाड़ कर सभी को हतप्रभ कर दिया था।
यह नाटक यहीं नहीं खत्म हुआ और भोजनावकाश के बाद सुनवाई के दौरान धवन ने एक बार फिर उनके द्वारा दस्तावेज फाड़े जाने की घटना का जिक्र किया और कहा कि ‘‘न्यायालय के बाहर यह वायरल हो गया है।’’ धवन ने कहा, ‘‘यह खबर वायरल हो गयी है कि मैंने अपने आप ही ये दस्तावेज फाड़ दिये।’’
धवन ने कहा कि उन्होंने पीठ से अनुमति मांगी थी कि क्या इन कागजात को फेंका जा सकता है और प्रधान न्यायाधीश का जवाब था, ‘‘यदि यह अप्रासंगिक है, आप इसे फाड़ सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधान न्यायाधीश ने कहा मैं इन कागजों को फाड़ सकता हूं और मैंने सिर्फ उनके आदेश का पालन किया।
मैं ऐसे मामलों में (वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद) दातार की सलाह लेता हूं और उन्होंने मुझसे कहा कि यह निर्देश है।’’ सीजेआई ने तपाक से कहा, ‘‘डा धवन सही है कि प्रधान न्यायाधीश ने कहा, अत: उन्होंने इसे फाड़ दिया। यह स्पष्टीकरण भी व्यापक रूप से रिपोर्ट होने दीजिये।’’ प्रधान न्यायाधीश के साथ एक अन्य न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर ने सहमति व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘अब इसे व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया है।