राकेश टिकैत ने किया ऐलान, 15 अगस्त पर किसान ट्रैक्टर परेड, दिल्ली की तरह लखनऊ को घेरेंगे
By सतीश कुमार सिंह | Published: July 26, 2021 07:19 PM2021-07-26T19:19:41+5:302021-07-26T19:21:16+5:30
राकेश टिकैत ने कहा कि अब लखनऊ को भी दिल्ली की तरह बनाया जाएगा और जिस तरह दिल्ली में चारों तरफ के रास्ते सील हैं, ऐसे ही लखनऊ के चारों तरफ के रास्ते किसानों द्वारा सील किये जाएंगे।
लखनऊः भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर किसान ट्रैक्टर परेड करेंगे। किसान 14 अगस्त को दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर जुटेंगे। गाजीपुर बॉर्डर पर किसान तिरंगा फहराएंगे।
उन्होंने कहा, "हम 14 और 15 अगस्त को ट्रैक्टर से गाजीपुर सीमा तक जाएंगे। 15 अगस्त को हम झंडा फहराएंगे। दो जिलों के ट्रैक्टर जाएंगे। हमने 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया।" टिकैत ने कहा कि ट्रैक्टर रैली कोई बुरी बात नहीं है। उन्होंने जींद वासियों द्वारा 15 अगस्त को ट्रैक्टर रैली निकालने के निर्णय की भी सराहना की।
उन्होंने कहा कि "ट्रैक्टर परेड को राष्ट्रीय ध्वज के साथ देखना गर्व का क्षण होगा।" टिकैत ने भी दिल्ली की तरह लखनऊ की सड़कों को घेरने की धमकी दी। आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा का विरोध करने के लिए 'मिशन यूपी' भी शुरू किया। उन्होंने कहा कि एसकेएम मिशन शुरू करने के लिए पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में भाजपा के खिलाफ एक बड़ी रैली करेगा और राज्य में महापंचायत और रैलियां करेगा।
तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ होगी मुजफ्फरनगर में किसानों की महारैली
केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आठ माह से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में महारैली और उत्तर प्रदेश राज्य के सभी मंडल मुख्यालयों पर महापंचायत आयोजित करने की घोषणा की है। मोर्चा ने उत्तर प्रदेश में अपने आंदोलन के लिए चार चरणों की रणनीति बनाई है।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत, जय किसान आंदोलन के प्रोफेसर योगेंद्र यादव, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के शिवकुमार कक्का जी, जगजीत सिंह दल्लेवाल और डॉक्टर आशीष मित्तल समेत कई नेताओं ने सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दलों के कार्यक्रमों का विरोध और उनके नेताओं का बहिष्कार करने के ऐलान के साथ आंदोलन के अगले कार्यक्रमों पर विस्तार से चर्चा की।
पंजाब और हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में भी हर गांव किसान आंदोलन का दुर्ग बने, कोने - कोने में किसान पर हमलावर कॉरपोरेट सत्ता के प्रतीकों को चुनौती दी जाए और किसान विरोधी भाजपा और उसके सहयोगियों का हर कदम पर विरोध हो। उन्होंने कहा कि आज भारतीय खेती और किसानों को कॉर्पोरेट और उनके राजनीतिक दलालों से बचाना है।