संसद ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक को दी मंजूरी, इस पर देश के सभी कानून होंगे लागू
By भाषा | Published: December 12, 2019 11:24 PM2019-12-12T23:24:30+5:302019-12-12T23:24:30+5:30
आईएफएससी प्राधिकरण विधेयक, 2019ः तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन ने कहा कि गुजरात में निर्माणाधीन आईएफएससी को पहले मुंबई में बनाया जाना था। उन्होंने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिये कि इन केन्द्रों से कितना राजस्व प्राप्त होगा।
संसद ने गुरूवार को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र से जुड़े एक विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें भारत में ऐसे केंद्रों में वित्तीय सेवा बाजार विकसित और विनियमित करने के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) प्राधिकरण विधेयक, 2019 पर राज्यसभा में हुयी संक्षिप्त चर्चा के बाद कहा कि यह केंद्र सर्वश्रेष्ठ वैश्विक मानकों का पालन करेगा और इस पर देश के सभी कानून लागू होंगे। इसके बाद उच्च सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। चर्चा में हिस्सा लेते हुये कांग्रेस के जयराम रमेश ने विधेयक का समर्थन करते हुये सरकार से पूछा कि क्या प्रस्तावित वित्तीय केन्द्र में रुपये को पूर्ण परिवर्तनीय बनाने का प्रावधान होगा, क्योंकि अभी भारत में यह व्यवस्था नहीं है।
उन्होंने इसके गठन से सेबी और रिजर्व बैंक के दायित्वों में बदलाव के बारे में सरकार से स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया। बीजद के अमर पटनायक ने कहा कि विधेयक में सिर्फ ढांचागत सुविधाओं का जिक्र किया है लेकिन विवादों के निपटारे के बारे में कोई प्रावधान नहीं है।
तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन ने कहा कि गुजरात में निर्माणाधीन आईएफएससी को पहले मुंबई में बनाया जाना था। उन्होंने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिये कि इन केन्द्रों से कितना राजस्व प्राप्त होगा। चर्चा का जवाब देते हुये सीतारमण ने कहा 2008 में एक समिति ने भारत में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवाओं के लिये इस प्रकार के निकाय की स्थापना की संस्तुति की थी।
उन्होंने कहा कि समिति का अनुमान था कि इस प्रकार के निकाय के अभाव में सेवा शुल्क सहित अन्य मदों में 50 अरब रुपये अदा किये जाते है और 2015 तक भारत इस मद में 50 अरब डालर अन्य देशों को इन सेवाओं के रूप में भुगतान करेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि समिति ने 2025 तक यह राशि 120 अरब डालर तक पहुंचने का अनुमान जताया था। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर देश में आईएफएससी की तत्काल जरूरत को महसूस करते हुये यह पहल की गयी है।
उन्होंने साफ किया कि अन्य राज्य भी आईएफएससी के लिए आवेदन कर सकते हैं और इसकी स्थापना की अनुमति वाणिज्य मंत्रालय को देनी होती है। वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी केवल वित्तीय लेनदेन का नियमन करना है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस विधेयक का मकसद भारत को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र के रूप में स्थापित करना है।