राजनाथ सिंह ने कहा, पाक सीमा पर आतंकी हमलों में 31 भारतीय सैनिक शहीद
By भाषा | Published: June 24, 2019 04:51 PM2019-06-24T16:51:03+5:302019-06-24T16:51:03+5:30
सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (एएफएसपीए) लागू है वहां 2016 में 113 सैनिक शहीद हुए, वर्ष 2017 में 125 और 2018 में 96 सैनिक शहीद हुए हैं। रक्षा मंत्री के अनुसार, सीमा पर मुठभेड़ के दौरान 2016 में 14 सैनिक शहीद हुए जबकि 2017 में 28 और 2018 में 27 सैनिक शहीद हुए।
सरकार ने सोमवार को बताया कि पिछले तीन साल के दौरान आतंकवादी हमलों की वजह से भारत पाकिस्तान सीमा पर 31 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा को बताया कि सामरिक कार्रवाई के दौरान 2016 में छह सैन्यकर्मी शहीद हुए जबकि 2017 में 13 और 2018 में 12 सैन्यकर्मी शहीद हुए।
सिंह ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि आतंकी हमलों का सामना करने के लिए सभी अग्रणी चौकियों को सुदृढ़ किया गया है। आधुनिक प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल से सभी अग्रणी चौकियों को सुदृढ़ करने में मदद मिली है।
उन्होंने एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि जिन क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (एएफएसपीए) लागू है वहां 2016 में 113 सैनिक शहीद हुए, वर्ष 2017 में 125 और 2018 में 96 सैनिक शहीद हुए हैं। रक्षा मंत्री के अनुसार, सीमा पर मुठभेड़ के दौरान 2016 में 14 सैनिक शहीद हुए जबकि 2017 में 28 और 2018 में 27 सैनिक शहीद हुए। एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में सिंह ने बताया कि बार बार हुए आतंकी हमलों में 2017 में 42 भारतीय सैनिक शहीद हुए और 2018 में 45 भारतीय सैनिक शहीद हुए ।
देश की रक्षा तैयारियों के लिए बजट बाधा नहीं बनेगा : राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को आश्वासन दिया कि देश की रक्षा तैयारियों के साथ कोई समझौता नहीं होगा और बजट इसमें बाधा नहीं बनेगा। सिंह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में कहा कि सरकार कोष के कारण रक्षा तैयारियों के साथ समझौते की अनुमति नहीं देगी।
उन्होंने कहा कि जहां तक देश की रक्षा तैयारियों का सवाल है, इस पर बजट के कारण कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। सिंह ने इस बात से इंकार किया कि रक्षा क्षेत्र में आवंटित बजट का पूरा उपयोग नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में आवंटित बजट से अधिक राशि व्यय की गयी है। उन्होंने कहा कि 2015-19 की अवधि के दौरान सरकार ने सामान्य और आकस्मिक खरीद, दोनों के लिए सेना मुख्यालय को दीर्घकालिक वित्तीय शक्तियां प्रदान की है। इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी आयी है और आवंटित बजट का पूरा तथा अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हुआ है।