राजस्थानः गुर्जर आरक्षण आंदोलन, वही मांग, वही तर्क, सबकुछ वैसा ही है, पर नतीजा कुछ नहीं!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: February 9, 2019 09:14 PM2019-02-09T21:14:44+5:302019-02-09T21:14:44+5:30

सीएम अशोक गहलोत ने प्रेस से कहा कि पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे गुर्जर समाज के नेताओं को अपनी मांग से जुड़ा ज्ञापन पीएम नरेंद्र मोदी को सौंपना चाहिए, क्योंकि यह संविधान संशोधन के बिना संभव नहीं है.

Rajathan gujjars again protesting for reservation and decision is nothing | राजस्थानः गुर्जर आरक्षण आंदोलन, वही मांग, वही तर्क, सबकुछ वैसा ही है, पर नतीजा कुछ नहीं!

राजस्थानः गुर्जर आरक्षण आंदोलन, वही मांग, वही तर्क, सबकुछ वैसा ही है, पर नतीजा कुछ नहीं!

गुर्जर समुदाय राजस्थान में एक बार फिर पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहा है. प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई, कांग्रेस की सरकार आई, मगर गुर्जर आरक्षण आंदोलन वैसा ही है, जैसा पहले था, वही मांग, वही तर्क, लेकिन नतीजा कुछ खास नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि प्रदेश सरकार चाहे तब भी कानूनी कारणों से गुर्जर आरक्षण की मांग पर स्वीकृति की मुहर नहीं लगा सकती है.

अशोक गहलोत ने केंद्र की तरफ फेका बॉल

गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला अपने समर्थकों के साथ सवाईमाधोपुर जिले में ट्रेन की पटरियों पर बैठे हैं. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने गुर्जर आरक्षण से अपनी सरकार को अलग करते हुए, मांग को केंद्र सरकार की ओर सरका दिया है. अलबत्ता, उन्होंने गुर्जर नेताओं से बातचीत के लिए तीन मंत्रियों की कमिटी जरूर गठित कर दी है, जो आंदोलनकारी नेताओं से चर्चा की रस्म निभा रही है.

सीएम अशोक गहलोत ने प्रेस से कहा कि पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे गुर्जर समाज के नेताओं को अपनी मांग से जुड़ा ज्ञापन पीएम नरेंद्र मोदी को सौंपना चाहिए, क्योंकि यह संविधान संशोधन के बिना संभव नहीं है.साथ ही, उन्होंने रेल पटरियों पर बैठे आंदोलनकारियों से अपील भी की है कि वे वहां से हट जाएं. उनका यह भी कहना था कि पिछली बार भी उनकी अधिकतर मांगें राज्य सरकार द्वारा मानी गई थीं, लेकिन उनकी मांग का संबंध केंद्र सरकार से है.

हाई कोर्ट के सहारे गहलोत सरकार  

सीएम गहलोत का कहना था कि- पिछली बार पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को विधानसभा में पारित कर लागू करने का प्रयास किया गया था, परन्तु हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी थी. गुर्जर समाज की मांग संविधान संशोधन सेे ही पूरी हो सकती है, यह बात आंदोलनकारियों को भी पता है, इसलिए उनका आंदोलन करना समझ से परे है. आंदोलनकारियों को अपनी मांगों का ज्ञापन प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृहमंत्री को देना चाहिए.

तीन सदस्यीय समिति का गठन 

गहलोत सरकार ने गुर्जर नेताओं के साथ बातचीत शुरू करने के लिए तीन सदस्यीय मंत्री समिति का गठन किया है, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा, पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और सामाजिक न्याय मंत्री भंवरलाल मेघवाल को शामिल किया गया. इस समिति में आईएएस अधिकारी नीरज के. पवन भी हैं.

उधर, पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह आंदोलन स्थल पर पहुंचे और गुर्जर नेताओं के बीच बातचीत शुरू भी की, किन्तु बातचीत कुछ खास आगे नहीं बढ़ी, आंदोलनकारियां ने साफ कर दिया कि जो भी बातचीत होगी वह सबसे सामने आंदोलन स्थल पर ही होगी.

बहरहाल, आंदोलन कितना लंबा चलेगा यह कोई नहीं जानता है, क्योंकि गुर्जर आंदोलनकारियों की मांग पर प्रदेश सरकार सैद्धान्तिक सहमति तो दे सकती है, परन्तु प्रायोगिक समाधान संभव नहीं है.

 

Web Title: Rajathan gujjars again protesting for reservation and decision is nothing

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