राजस्थानः अब पिछली सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार पर निशाना साधेंगे सीएम अशोक गहलोत?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 30, 2019 07:29 AM2019-07-30T07:29:41+5:302019-07-30T07:29:41+5:30
सीएम गहलोत का कहना है कि- भामाशाह योजना के लागू होने के समय से ही इसकी कार्यप्रणाली व कार्यान्वयन को लेकर लगातार शिकायतें प्राप्त होती रही हैं. इसलिए ऐसी शिकायतों के मद्देनजर एक मंत्री स्तर का समूह बनाकर शिकायतों की जांच कराई जाएगी और पुनरीक्षण कराया जाएगा.
राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार बड़े आराम से चल रही है. विधानसभा बजट सत्र जिस तरह से निकला है, उसने साबित कर दिया है कि विपक्ष का विरोध केवल सियासी रस्म अदायगी है. प्रदेश में विपक्ष की ओर से न तो कोई बड़ा धरना-प्रदर्शन है और न ही विधानसभा में भी कोई खास विरोध है. यही वजह है कि सीएम गहलोत बजट सत्र के दौरान विश्वास के साथ विभिन्न घोषणाएं करते रहे हैं.
यही नहीं, वे लगातार बीजेपी पर निशाना भी साध रहे हैं. महात्मा गांधी, सरदार पटेल, बाबा साहेब अंबेडकर आदि महान नेताओं के नाम पर राजनीति करने को लेकर विधानसभा में सीएम गहलोत ने बीजेपी को एक्सपोज किया. इसके अलावा सोमवार को विधानसभा में उन्होंने यह एलान किया कि प्रदेश की पिछली बीजेपी सरकार की भामाशाह स्वास्थ्य योजना की जांच के लिए सरकार मंत्री समूह बनाएगी.
सीएम गहलोत का कहना है कि- भामाशाह योजना के लागू होने के समय से ही इसकी कार्यप्रणाली व कार्यान्वयन को लेकर लगातार शिकायतें प्राप्त होती रही हैं. इसलिए ऐसी शिकायतों के मद्देनजर एक मंत्री स्तर का समूह बनाकर शिकायतों की जांच कराई जाएगी और पुनरीक्षण कराया जाएगा.
सीएम गहलोत का कहना है कि पिछली बीजेपी सरकार ने निःशुल्क दवा योजना को भामाशाह कार्ड के नाम से लागू किया था. योजना में भयंकर भ्रष्टाचार हो रहा है, हम इसकी समीक्षा कराएंगे. सीएम गहलोत का यह भी कहना है कि- चाहे आयुष्मान भारत योजना हो या निःशुल्क दवाइयों की कोई योजना, हम चाहेंगे कि अछूता कोई नहीं रहे, सबको लाभ मिले, लेकिन भामाशाह योजना की जांच करवाई जाएगी ताकि भविष्य में निहित स्वार्थ वाले लोग इसका लाभ नहीं उठा सकें.
इस दौरान सीएम गहलोत ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भी सियासी निशाना साधते हुए केन्द्र और प्रदेश में बीजेपी की गुटबाजी की ओर भी इशारा किया. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस वक्त प्रदेश के बीजेपी नेता अपनी निजी सियासी महत्वकांक्षाओं के चलते ठहरो और देखो की नीति अपनाए हैं और केन्द्रीय नेतृत्व की अगली रणनीति का इंतजार कर रहे हैं. यही कारण है कि विपक्षी खेमे में इस वक्त सियासी खामोशी है.