राजस्थानः धारा 144 की सीमा 31 अक्टूबर तक, दो अक्टूबर से शुरू होगा ‘कोरोना के विरुद्ध जन आंदोलन’
By धीरेंद्र जैन | Published: October 1, 2020 09:37 PM2020-10-01T21:37:57+5:302020-10-01T21:37:57+5:30
राज्य में निषेधाज्ञा की अवधि को एक अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2020 तक बढ़ाया गया है। इस संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार राज्य सरकार द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 की उपधारा (4) के प्रावधान के तहत सम्पूर्ण राज्य में निषेधाज्ञा लागू की गई है।
जयपुरः राजस्थान सरकार द्वारा कोरोना महामारी संक्रमण से मानव जीवन एवं स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अहम निर्णय लेते हुए राज्य में निषेधाज्ञा की अवधि को एक अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2020 तक बढ़ाया गया है। इस संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार राज्य सरकार द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 की उपधारा (4) के प्रावधान के तहत सम्पूर्ण राज्य में निषेधाज्ञा लागू की गई है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए राज्य सरकार द्वारा पहली बार 18 व 19 मार्च को निषेधाज्ञा लागू की गई थी। तत्पश्चात कोरोना महामारी की संकटपूर्ण परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए 19 मई, 30 जून, 30 जुलाई तथा 31 अगस्त 2020 को धारा 144 के समय में वृद्धि की गई थी।
जीवन बचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता, सभी मिलकर अभियान को सफल बनाएं-मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना संक्रमण से लोगों का जीवन बचाने के लिए सभी को अपना फर्ज निभाते हुए 2 अक्टूबर से शुरू हो रहे ‘कोरोना के विरुद्ध जन आंदोलन’ को सफल बनाना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रण में रखने में अभी तक जो कामयाबी मिली है उसे बरकरार रखने के लिए राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर सभी दलों के नेता, जनप्रतिनिधि, सांसद, विधायक इस जन आंदोलन में पूरी भागीदारी निभाएं।
गहलोत बुधवार को मुख्यमंत्री निवास से वीसी के माध्यम से विभिन्न राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों से जन आंदोलन को लेकर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने सभी का आह्वान किया कि कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में जन आंदोलन को प्रभावी हथियार बनाने का संकल्प लें और साथ मिलकर इस आंदोलन को कामयाब बनाएं। उन्होंने कहा कि कोरोना पॉजिटिव की संख्या बढ़ी तो यह हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण की शुरुआत से ही राज्य सरकार की अप्रोच सभी को साथ लेकर चलने की रही है। शुरूआती दौर में राजनीतिक दलों के नेताओं, धर्मगुरुओं, सामाजिक संगठनों, एनजीओ एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों से वीसी के माध्यम से चर्चा कर राज्य सरकार ने कोरोना से निपटने की रणनीति बनाई और हर व्यक्ति ने संक्रमण रोकने में अपनी भागीदारी निभाई।
उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर से चलाया जाने वाला जन आंदोलन कोई राजनीतिक अभियान नहीं बल्कि कोरोना के खिलाफ एक गैर-राजनीतिक अभियान है जिसमें सभी का सहयोग जरूरी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी के साथ हो रही लगातार चर्चा से जो सकारात्मक माहौल बना है वह इस जंग को जीतने तक बना रहेगा। गहलोत ने कहा कि जीवन बचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए धन की कोई कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस अभियान के दौरान लोगों को मास्क बांटे जाएंगे। सभी मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में जाकर अभियान की मॉनिटरिंग करेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने सभी दलों के जनप्रतिनिधियों के साथ लगातार संवाद कायम रखने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण अभी सबसे खतरनाक दौर में है। ऐसे में राजनीति एवं पार्टी हितों से ऊपर उठकर सभी को मिलकर काम करना होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे कोई भी कार्यक्रम आयोजित नहीं हों जिनमें ज्यादा लोगों के आने से संक्रमण बढ़ने की आशंका हो। उन्होंने कहा कि समाज में प्रभाव रखने वाले लोगों को कोरोना से बचाव का संदेश देने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित करने चाहिए जिससे जागरूकता बढ़ेगी। जन आंदोलन के नोडल विभाग नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग के मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि 2 अक्टूबर से शुरू हो रहे कोरोना के विरूद्ध जन आंदोलन में शुरुआती दौर में 11 जिला मुख्यालयों पर जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा जिसे बाद में अन्य जिलों में भी चलाया जाएगा।
इसके तहत एक करोड़ मास्क आमजन को बांटे जाएंगे। जरूरत पड़ने पर और भी मास्क उपलब्ध कराए जाएंगे। शहरी क्षेत्र को दस भागों में बांटकर जागरूकता का काम किया जाएगा। उन्होंने आमजन से अपील की कि अभियान को सभी मिलकर सफल बनाएं। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि लक्ष्य तय कर संक्रमण को नियंत्रित करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा।
जनप्रतिनिधियों, सरकारी कर्मचारियों को भी सारे हैल्थ प्रोटोकॉल की पालना करने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान प्रचार-प्रसार में पूरा सहयोग दिया जाएगा। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी आश्वस्त किया कि कोरोना के खिलाफ चलाए जा रहे इस अभियान में उनकी पार्टी की ओर से मास्क वितरण सहित अन्य कार्यों में यथोचित सहयोग दिया जाएगा।
राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने के एकलपीठ के आदेश पर लगाई रोक
राजस्थान हाईकोर्ट ने आज निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस वसूलने के आदेश पर 9 अक्टूबर तक के लिए रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश आई.जे. महांति और जस्टिस महेंद्र गोयल की खण्डपीठ ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। अब हाईकोर्ट 9 अक्टूबर को सभी मामलों की एकसाथ सुनवाई करेगा।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों की फीस वसूली मामले में सोमवार को सुनवाई 30 सितंबर तक टाल दी थी। वहीं इस मामले में निशा फाउंडेशन को भी पक्षकार बनाने के लिए कहा था। इस मामले में राज्य सरकार ने भी अपील दायर की है। वहीं प्रदेश सरकार की ओर से दायर अपील में सरकार ने कहा है कि एकल पीठ ने निजी स्कूलों को 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूलने का जो आदेश दिया है, उसका कोई आधार नहीं बताया है। जबकि निजी स्कूलों ने आरटीई व फीस रैग्युलेशंस का उल्लंघन करते हुए फीस तय की है।
सरकार ने कहा कि अदालत में निजी स्कूलों की ओर से यह विवरण नहीं दिया गया कि कोविड 19 के दौरान उनका क्या-क्या खर्चा हुआ था। अतः एकलपीठ का आदेश रद्द किया जाए। आपके बता दे की हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 7 सितंबर को सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस इन राजस्थान व प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर अंतरिम आदेश देते हुए कहा था कि निजी स्कूलों कुल ट्यूशन फीस की 70 प्रतिशत राशि अभिभावकों से तीन किस्तों में वसूल सकते हैं। आदेश में यह भी स्पष्ट किया था कि अभिभावकों द्वारा फीस नहीं देने पर केवल बच्चों को ऑनलाइन क्लासों में शामिल नहीं किया जा सकता, लेकिन किसी भी बच्चे का नाम स्कूल से नहीं काटा जाएगा।