राजस्थानः आर्थिक आधार पर आरक्षण, कर्ज माफी जैसा जीत का बड़ा सियासी दाव हो सकता है?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 27, 2018 02:48 PM2018-12-27T14:48:31+5:302018-12-27T14:49:36+5:30
अब राजस्थान सरकार किसानों के बाद युवाओं पर ध्यान देने जा रही है. राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का प्रेस को कहना था कि किसानों के लिए कर्जमाफी की घोषणा के बाद राज्य सरकार जल्दी ही युवाओं की रोजगार की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी कदम उठाएगी.
राजस्थान सहित तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बनने के बाद कर्जमाफी का ऐलान हो चुका है. इस बार विसधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दस दिन में कर्ज माफी का वादा किया था और तीनों राज्यों ने यह कर भी दिखाया.
अब राजस्थान सरकार किसानों के बाद युवाओं पर ध्यान देने जा रही है. राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का प्रेस को कहना था कि किसानों के लिए कर्जमाफी की घोषणा के बाद राज्य सरकार जल्दी ही युवाओं की रोजगार की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी कदम उठाएगी. उनका कहना था कि किसानों की समस्याएं सुलझाना और युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना राज्य की कांग्रेस सरकार के एजेंडे में प्राथमिकता में रहेंगे.
पायलट का यह भी कहना था कि- मंत्रिमंडल के गठन के बाद सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है और सरकार घोषणा पत्र के अनुरूप अपने कार्य को मूर्त रूप देना शुरू करेगी.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण, कर्ज माफी जैसा जीत का बड़ा सियासी दाव हो सकता है? इसका फायदा उसी दल को मिलेगा जो सबसे पहले इसका एलान करेगा.
किसानों की कर्ज माफी के बारे में भाजपा भी तैयारी कर रही थी, लेकिन राहुल गांधी ने पहले घोषणा करके भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी और कांग्रेस को विस चुनाव में जीत के रूप में इसका बड़ा फायदा हुआ.
राजस्थान ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री पं. भंवरलाल शर्मा लंबे समय से वर्तमान आरक्षण व्यवस्था को जारी रखते हुए सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण का अभियान चला रहे हैं.
यह महत्वपूर्ण सियासी मुद्दा है और यही वजह है कि समय-समय पर बसपा प्रमुख मायावती, केन्द्रीय मंत्री रामदास आठवले, केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान भी इसकी पैरवी कर चुके हैं.
लोकसभा चुनाव से पहले सभी सियासी दलों का फोकस युवा इसलिए हैं कि यदि इनका साथ मिल जाता है तो चुनाव में जीत की राह आसान हो सकती है. युवाओं को रोजगार चाहिएं, लेकिन इसको लेकर आश्वासन के अलावा किसी भी राजनीतिक दल के पास कोई ठोस योजना नहीं है.
सामान्य वर्ग भाजपा का प्रमुख वोट बैंक रहा है, परन्तु केन्द्र सरकार के कुछ निर्णयों से यह वर्ग खासा नाराज है. इस नाराजगी का असर इस बार के विस चुनाव में नजर आया है. यदि भाजपा पहले आर्थिक आधार पर आरक्षण की घोषणा करती है तो सामान्य वर्ग की नाराजगी दूर कर सकती है, वहीं कांग्रेस ऐसी पहल करती है तो किसान कर्ज माफी जैसा इलैक्शन मास्टर स्ट्रोक हो सकता है।