Rajasthan Political Crisis: सियासी डर सबको लगता है, राजनीतिक गला सबका सूखता है?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: August 8, 2020 05:18 PM2020-08-08T17:18:07+5:302020-08-08T17:18:07+5:30
राजस्थान में सियासी संग्राम शुरू हुए करीब एक महीना हो गया है, सबसे पहले सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों को लेकर हरियाणा के होटल चले गए, तो सीएम अशोक गहलोत ने भी अपने समर्थक विधायकों को पहले जयपुर और अब जैसलमेर के होटल में शिफ्ट कर दिया है.
क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पाॅलिटिकल कांफिडेंस से भाजपा का भरोसा डगमगा गया है? क्या बीजेपी को भी अपने एमएलए की सियासी सुरक्षा की समस्या सता रही है?
राजस्थान में सियासी संग्राम शुरू हुए करीब एक महीना हो गया है, सबसे पहले सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों को लेकर हरियाणा के होटल चले गए, तो सीएम अशोक गहलोत ने भी अपने समर्थक विधायकों को पहले जयपुर और अब जैसलमेर के होटल में शिफ्ट कर दिया है.
कल तक बीजेपी कांग्रेस की ऐसी हालत देख कर उस पर व्यंग्यबाण चला रही थी, लेकिन बीजेपी को अचानक अहसास हुआ कि विधायकों के पाला बदल का सियासी खतरा तो उसके विधायकों पर भी मंडरा रहा है, लिहाजा बीजेपी ने भी अपने एमएलए की बाड़ेबंदी शुरू कर दी है. सबसे पहले एक दर्जन से ज्यादा एमएलए को अहमदाबाद, गुजरात के रिसॉर्ट में भेजा गया है. गुजरात इसलिए कि वहां बीजेपी की सरकार तो है ही, मोदी-शाह का गृहराज्य है. यदि जरूरत महसूस हुई तो कुछ और विधायकों को भी अन्यत्र भेजा जाएगा.
खबरों पर भरोसा करें तो बीजेपी के सभी विधायकों को 14 अगस्त के विधानसभा सत्र से पहले 12 अगस्त से जयपुर के किसी होटल में रखा जाएगा.
आखिर बीजेपी ने ऐसा कदम क्यों उठाया, इसका जवाब प्रेस को नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने दिया कि- अगर बसपा के 6 विधायकों पर हाईकोर्ट का कोई ऐतिहासिक निर्णय आता है तो उस समय हमारे 75 वोटों की महत्वपूर्ण स्थिति होगी. इन्हें संभाले रखना पार्टी का धर्म है. इसके लिए चौकन्ना रहना जरूरी है. 11 तारीख को कोर्ट का निर्णय आने के बाद ही हम आगे की रणनीति तय करेंगे.
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों को नोटिस जारी करके 11 अगस्त तक जवाब मांगा है. हाईकोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान की राजनीति एक बार फिर करवट लेगी, देखना दिलचस्प होगा कि इसके बाद सियासी बाजी किसके हाथ में होगी?