राजस्थानः स्थानीय चुनाव... सियासी उलझन इधर भी है, उधर भी!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: September 8, 2019 08:36 PM2019-09-08T20:36:34+5:302019-09-08T20:37:34+5:30
राजस्थान में स्थानीय निकाय और पंचायती राज चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों में राजनीतिक कन्फ्यूजन की स्थिति नजर आ रही है क्योंकि इन चुनावों में लोकल के मुद्दे हावी रहने वाले हैं।
राजस्थान में निकट भविष्य में होने जा रहे स्थानीय निकाय, पंचायती राज चुनावों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही सियासी उलझन में हैं. जहां विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने बीजेपी को मात दे दी थी, वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने जीत दर्ज करवाई थी.
जाहिर है, इन चुनावों में स्थानीय मुद्दे ज्यादा असरदार रहेंगे, लिहाजा दोनों ही प्रमुख दलों को अनेक सियासी समस्याओं का सामना करना होगा.
ज्यादातर जगहों पर बीजेपी का कब्जा है, इसलिए बीजेपी के सामने स्थानीय सत्ता बचाने की बड़ी चुनौती है.
गुटबाजी की समस्या दोनों ही दलों में है और स्थानीय चुनावों में भितरघात सबसे ज्यादा प्रभावी रहता है, इसलिए चुनावी नतीजे उम्मीदवार की राजनीतिक क्षमता पर ज्यादा निर्भर रहेंगे.
जहां-जहां अच्छे कार्य हुए हैं, वहां-वहां तो सत्ताधारी दल फायदे में रहेंगे, लेकिन जहां जनता नाराज है, वहां कोई नेता या कोई दल, किसी भी उम्मीदवार को जीत नहीं दिला पाएगा.
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए कांग्रेस के लिए इन चुनावों में बेहतर स्थिति रह सकती है क्योंकि, यदि विकास चाहिए तो प्रदेश की सरकार के सहयोग के बगैर जनता के सपने पूरे करना आसान नहीं है.
हालांकि, बीजेपी भी चुनाव में जीत हांसिल करने के लिए बड़े स्तर की योजना बना रही है. क्योंकि, चुनाव प्रबंधन में बीजेपी, कांग्रेस से बेहतर स्थिति में है, इसलिए प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव प्रबंधन तक की रणनीति को मात देना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा.
प्रदेश में प्रस्तावित निकाय चुनाव में जयपुर नगर निगम सहित 51 निकायों के चुनाव होंगे. वर्तमान कांग्रेस सरकार ने नगरीय निकायों का नए सिरे से परिसीमन करके हर निकाय में वार्ड बढ़ाए हैं क्योंकि परिसीमन में सत्ताधारी दल का दबदबा रहता है, इसलिए नए वार्डों में जीत दर्ज करवाना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती रहेगी.
कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही दलों ने इन चुनावों को लेकर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तैयारियां प्रारंभ कर दी है, लेकिन असली परीक्षा तो टिकट वितरण और चुनाव लड़ने के दौरान ही होगी!