राजस्थानः किसानों के लिए केवल कर्जमाफी नहीं संपूर्ण समाधान, ब्याजखोरों पर भी कसे शिकंजा

By प्रदीप द्विवेदी | Published: June 19, 2019 05:39 PM2019-06-19T17:39:20+5:302019-06-19T17:39:20+5:30

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि केवल सहकारी-सरकारी बैंक कर्जमाफी किसानों की समस्या का संपूर्ण समाधान नहीं है. राजस्थान में किसान विषम परिस्थितियों में खेती करते हैं. खाद, पानी, बीज की कमी और रोजमर्रा की जरूरतों के चलते उन्हें सहकारी-सरकारी बैंक के अलावा ब्याजखोरों से भी कर्ज लेना पड़ता है.

Rajasthan: Loan waiver not only the solution, Govt should take action against Money lenders | राजस्थानः किसानों के लिए केवल कर्जमाफी नहीं संपूर्ण समाधान, ब्याजखोरों पर भी कसे शिकंजा

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

राजस्थान विधानसभा का आगामी सत्र खासा हंगामेदार होने के आसार नजर आ रहे हैं. किसान कर्जमाफी, दुष्कर्म, बजरी माफियाओं जैसे मुद्दों को लेकर तो बीजेपी विधानसभा में सरकार को घेरेगी ही, लेकिन सबसे ज्यादा जोर किसान कर्जमाफी को लेकर रहेगा, जिसके दम पर कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में आई है. यही वजह है कि पूर्व सहकारिता मंत्री व पूर्व विधायक अजय सिंह किलक को भी विधायक दल की बैठक में बुलाया गया था, जिन्होंने विधायकों को कर्जमाफी से जुड़ी विभिन्न उपयोगी जानकारियां दी. 

किलक का कहना था कि- किसान कर्जमाफी के नाम पर कांग्रेस सत्ता में तो आई लेकिन सरकार में आने के बाद अपना वादा पूरा नहीं किया, अगर कर्ज माफी हुई है तो फिर किसानों को नोटिस क्यों दिए गए? कर्ज के बोझ तले दबे किसानों ने आत्महत्या क्यों की?

इस मौके पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का कहना था कि- सरकार ने न तो किसानों का पूरा कर्ज माफ किया और न ही केन्द्र सरकार की किसान सम्मान निधि योजना का लाभ किसानों को दिलाया.

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का कहना था कि- किसानों की सम्पूर्ण कर्जमाफी के वादे पर ये सरकार खरी नहीं उतर पाई है.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि केवल सहकारी-सरकारी बैंक कर्जमाफी किसानों की समस्या का संपूर्ण समाधान नहीं है. राजस्थान में किसान विषम परिस्थितियों में खेती करते हैं. खाद, पानी, बीज की कमी और रोजमर्रा की जरूरतों के चलते उन्हें सहकारी-सरकारी बैंक के अलावा ब्याजखोरों से भी कर्ज लेना पड़ता है.

एक बार इनके चक्र में उलझने के बाद किसान की कई चीजे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर दांव पर लग जाती हैं. मोटी ब्याज दर और पेनल्टी के चलते मूल रकम के दोगुने से अधिक चुकाने के बाद भी कर्ज वैसा ही बना रहता है. क्योंकि, ऐसे कर्ज को लेने के बावजूद किसान के पास ब्याज दर, ऋण पत्र जैसे कोई कागजात तो होते नहीं है और जमा की गई राशि की रसीद भी नहीं मिलती है, इसलिए ब्याजखोर के पास गिरवी रखी गई वस्तुएं, जमीन, हस्ताक्षरित खाली चेक, स्टाम्प पेपर आदि कर्जदार किसान को अंदर से खोखला कर देती हैं. सामाजिक प्रतिष्ठा खराब होने के डर से ऐसे कर्ज का किसान जिक्र भी नहीं करता है.

केवल किसान ही नहीं, प्रदेश में कई और जरूरतमंद लोग भी ऐसे ही कर्जों के चक्र में उलझे हुए हैं, किन्तु ब्याजखोरों को लेकर न तो सख्त कानून-कायदे हैं और न ही सरकार की ओर से इस दिशा में कोई सक्रियता दिखाई देती है, लिहाजा किसान कर्जमाफी जैसे निर्णय का आंशिक लाभ तो किसानों को मिल सकता है, परन्तु जब तक ब्याजखोरों पर कानूनी शिकंजा नहीं कसेगा, किसानों की समस्याओं का अंत नहीं होगा.

Web Title: Rajasthan: Loan waiver not only the solution, Govt should take action against Money lenders

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