लुप्त होने के कगार पर रेगिस्तान का जहाज, ऊंटों के अस्तित्व पर संकट, 35 प्रतिशत की भारी कमी

By धीरेंद्र जैन | Published: September 14, 2020 08:51 PM2020-09-14T20:51:57+5:302020-09-14T20:51:57+5:30

बीते पांच सालों में ऊंटों की संख्या में 35 प्रतिशत की भारी कमी दर्ज की गई है। भारत में पाए जाने वाले ऊंटों का 80 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान में ही है। 2014 में ऊंट को राज्य पशु का दर्जा दिया गया था किन्तु संरक्षण के अभाव में पशुपालक ऊंट से मुंह मोड़ रहे हैं।

Rajasthan jaipur CM Ashok Gehlot Desert ship verge extinction crisis over camel 35% reduction | लुप्त होने के कगार पर रेगिस्तान का जहाज, ऊंटों के अस्तित्व पर संकट, 35 प्रतिशत की भारी कमी

यूएई, सउदी अरब, आस्ट्रेलिया सहित दर्जन भर से अधिक देशों में दवाइयों सहित मिल्क शेक के रूप में काम में ले रहे हैं।

Highlightsप्रदेश में ऊंटों की मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। 20वीं पशुगणना के अनुसार ऊंटों की संख्या में 34.69 प्रतिशत की भारी कमी दर्ज की गई है। ऊंट पालकों का कहना है कि सरकारी प्रोत्साहन नहीं के बराबर होने से पशुपालक ऊंट क्यों पालेंगे।राज्य में ऊंटों के संरक्षण के लिए चलाई जा रही योजनाएं गत 6 माह से बंद पड़ी है। जिसके चलते पशुपालकों को अनुदान व अन्य सुविधाएं नहीं मिल रही।

जयपुरः राजस्थान को ऊंट की जन्मस्थली और ‘रेगिस्तान का जहाज‘ माना जाता है। लेकिन सरकार की उदासीनता और लगातार घटती संख्या के चलते ऊंट अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्षरत है।

बीते पांच सालों में ऊंटों की संख्या में 35 प्रतिशत की भारी कमी दर्ज की गई है। भारत में पाए जाने वाले ऊंटों का 80 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान में ही है। 2014 में ऊंट को राज्य पशु का दर्जा दिया गया था किन्तु संरक्षण के अभाव में पशुपालक ऊंट से मुंह मोड़ रहे हैं।

प्रदेश में ऊंटों की मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। 20वीं पशुगणना के अनुसार ऊंटों की संख्या में 34.69 प्रतिशत की भारी कमी दर्ज की गई है। पहले इनकी संख्या 3.26 लाख थी जो अब गिरकर 2.13 लाख रह गई है। ऊंट पालकों का कहना है कि सरकारी प्रोत्साहन नहीं के बराबर होने से पशुपालक ऊंट क्यों पालेंगे।

राज्य में ऊंटों के संरक्षण के लिए चलाई जा रही योजनाएं गत 6 माह से बंद पड़ी है। जिसके चलते पशुपालकों को अनुदान व अन्य सुविधाएं नहीं मिल रही। ऊंटनी का दूध यूएई, सउदी अरब, आस्ट्रेलिया सहित दर्जन भर से अधिक देशों में दवाइयों सहित मिल्क शेक के रूप में काम में ले रहे हैं।

इसमें पाये जाने वाले गुणों के कारण शुगर, कैंसर सहित अनेक असाध्य रोगों की दवा के रूप में ऊंटनी का दूध प्रयोग में लिया जाता है। गुजरात के कच्छ में मिलने वाले खराई ऊंट समुद्री पानी में भी 5.7 किमी तक बिना किसी सहारे के चल सकता है।

ऊंट कम होने के कारणों में चारागाह कम होने, उष्ट्र विकास योजना बंद होने के अलावा ऊंटों की तस्करी और इनका वध किया जाना प्रमुख कारण हैं। सरकार से पशुपालकों प्रोत्साहन नहीं मिलने से इनकी संख्या तेजी से कम हो रही है। 

Web Title: Rajasthan jaipur CM Ashok Gehlot Desert ship verge extinction crisis over camel 35% reduction

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