राजस्थान: सवर्ण आरक्षण की सियासी रस्साकशी के बीच महिलाओं के लिए आरक्षण की पहल!
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 20, 2019 04:24 AM2019-01-20T04:24:00+5:302019-01-20T04:24:00+5:30
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सवर्ण आरक्षण की तरह ही महिला आरक्षण का मुद्दा भी तत्काल कोई बड़ा लाभ नहीं देने वाला है, क्योंकि इसके प्रायोगिक नतीजे सामने आने में बहुत वक्त लगेगा, लिहाजा दोनों ही पहल तो अच्छी हैं, लेकिन इसका सियासी दलों को भले ही फायदा मिल जाए, वास्तविक जरूरतमंदो को अभी बड़ा फायदा मिलना मुश्किल है.
केंद्र सरकार द्वारा सवर्ण आरक्षण के ऐलान के बाद इस मुद्दे पर राजस्थान में पक्ष-विपक्ष में सियासी रस्साकशी जारी है, जहां सत्ताधारी कांग्रेस नहीं चाहती कि इसका लाभ भाजपा को मिले, तो वहीं भाजपा इस मुद्दे को गर्म रख कर सामान्य वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है.
इस सियासी रस्साकशी के बीच राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की पहल की है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महिला आरक्षण को लेकर कांग्रेस का नजरिया प्रेस के सामने रखते हुए कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की इच्छा के अनुरूप यह पहल की जा रही है.
गहलोत का कहना था कि सोनिया गांधी ने लोकसभा एवं विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा उठाया था और इसके लिए लगातार संघर्ष किया, जिसके कारण इससे संबंधित विधेयक लोकसभा में पारित भी हो गया, परंतु राज्यसभा में अटक गया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मंशा है कि जो कांग्रेस शासित प्रदेश हैं, वहां की विधानसभाएं भी प्रस्ताव पारित करें और इसीलिए हमने नीतिगत फैसला लिया है कि प्रस्ताव पास करने की प्रक्रिया शुरू करेंगे और प्रस्ताव पास करवाएंगे.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सवर्ण आरक्षण की तरह ही महिला आरक्षण का मुद्दा भी तत्काल कोई बड़ा लाभ नहीं देने वाला है, क्योंकि इसके प्रायोगिक नतीजे सामने आने में बहुत वक्त लगेगा, लिहाजा दोनों ही पहल तो अच्छी हैं, लेकिन इसका सियासी दलों को भले ही फायदा मिल जाए, वास्तविक जरूरतमंदो को अभी बड़ा फायदा मिलना मुश्किल है. सवर्ण आरक्षण के लाभ की राह में नौकरियों का अभाव बड़ा रोड़ा है, तो महिला आरक्षण इतनी आसानी से प्रायोगिक रूप लेनेवाला नहीं है,अलबत्ता इन मुद्दों पर सियासी दल एक-दूजे को एक्सपोज जरूर कर पाएंगे.