राजस्थान हाईकोर्ट ने गर्भावस्था के 27वें सप्ताह में लड़की को गर्भपात कराने की अनुमति दी
By रुस्तम राणा | Published: November 22, 2022 05:42 PM2022-11-22T17:42:52+5:302022-11-22T17:42:52+5:30
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 20 सप्ताह तक की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है। विशेष परिस्थितियों में, अदालतों ने उसके बाद भी समाप्ति की अनुमति दी है।
जयपुर:राजस्थान हाईकोर्ट ने मामले की जांच के लिए गठित एक मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर एक लड़की को गर्भावस्था के 27वें सप्ताह में गर्भपात कराने की अनुमति दी है। लड़की कथित रूप से बलात्कार पीड़िता है। अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास ने अदालत में रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि गणना किए गए जोखिम के साथ गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है।
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 20 सप्ताह तक की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है। विशेष परिस्थितियों में, अदालतों ने उसके बाद भी समाप्ति की अनुमति दी है। न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर ने अनचाहे गर्भ के कारण लड़की को हुए मानसिक आघात का हवाला दिया और कहा कि उसे गर्भपात कराने का अधिकार है।
बोर्ड ने राय दी है कि याचिकाकर्ता की गर्भावस्था को इस गर्भकालीन आयु में गणना किए गए जोखिम के साथ समाप्त किया जा सकता है, इसलिए, यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता को सक्षम डॉक्टरों के समक्ष पेश किया जाए, उसकी गर्भावस्था को तुरंत समाप्त करने के लिए।
न्यायमूर्ति माथुर ने पुलिस से लड़की को जल्द से जल्द गर्भपात कराने के लिए अस्पताल ले जाने को कहा। गर्भावस्था को समाप्त करने की प्रक्रिया को अपनाते समय डॉक्टरों द्वारा सभी देखभाल और सावधानी बरती जाएगी। लड़की ने गर्भपात और उसके पहले और बाद में आवश्यक चिकित्सा देखभाल की मांग करते हुए अदालत का रुख किया।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल सितंबर में कहा था कि एक महिला के पास ऐसे अधिकारों का प्रयोग करने की स्वायत्तता होनी चाहिए और "विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है"। शीर्ष अदालत ने अविवाहित महिलाओं को भी सहमति से संबंध से उत्पन्न होने वाले 24 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने का अधिकार दिया था।