राजस्थानः अब वसुंधरा राजे के खिलाफ सांसद हनुमान बेनीवाल ने खोला मोर्चा!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: September 7, 2019 04:22 PM2019-09-07T16:22:26+5:302019-09-07T16:22:26+5:30
बेनीवाल का कहना है कि यह विडम्बना है कि सीएम गहलोत कोर्ट के फैसले की जान बूझकर अवमानना कर रहे हैं. केवल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए किसी भी कोर्ट के निर्णय को मानने से इनकार कर रहे हैं.
राजस्थान के नागौर से सांसद, बीजेपी के सहयोगी हनुमान बेनीवाल का राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 को अवैध करार दिए जाने के हाईकोर्ट के फैसले के बाद कहना है कि अब कोर्ट के आदेश के बाद कब्जा जमाए बैठे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित अन्य मंत्रियों के बंगले खाली होने चाहिए. यदि ऐसा नहीं होता है तो हाईकोर्ट के फैसले को लेकर लोगों के बीच गलत संदेश जाएगा. उनका तो यह भी कहना था कि वसुंधरा राजे और सीएम अशोक गहलोत मिले हुए हैं.
बेनीवाल का कहना है कि यह विडम्बना है कि सीएम गहलोत कोर्ट के फैसले की जान बूझकर अवमानना कर रहे हैं. केवल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए किसी भी कोर्ट के निर्णय को मानने से इनकार कर रहे हैं. उन्होंने तो सरकार पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि बंजारो को उजाड़ने में कोर्ट का फैसला लागू होता है, बाकी जगह मित्रता हावी है.
क्या मुख्यमंत्री विधायकों को आवास आवंटन के लिए अधिकृत हैं? क्या यह राजस्थान विधानसभा के अधिकारों-कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप नहीं है? क्या वसुंधरा राजे को वर्तमान आवास विधानसभा आवास समिति ने दिया है? मित्र-प्रेम में सीएम गहलोत तकनीकी बातों को नजरअन्दाज कर गये!
उनका मानना है कि अब तुरंत बंगले खाली हों, तब हाईकोर्ट का मैसेज जाएगा. नहीं तो लोग कह देंगे कि हाईकोर्ट एक तरफ गरीबों के लिए तो इस तरह के आदेश पारित करता है और अमीरों के लिए अलग तरह का आदेश होता है.
याद रहे, बेनीवाल बीजेपी के सहयोग से सांसद बने हैं.
राजस्थान में वसुंधरा राजे के सियासी प्रभाव को लेकर बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व असहज है, लेकिन पूरे प्रदेश में प्रभाव रखने वाली वसुंधरा राजे ही एकमात्र बीजेपी नेता हैं, लिहाजा पार्टी के अंदर से नया नेतृत्व तैयार करना आसान नहीं है. क्योंकि, बेनीवाल बीजेपी में नहीं हैं, इसलिए वसुंधरा राजे के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बोलने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता. इससे वे जहां बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व के करीब जाने में कामयाब रहेंगे, वहीं वसुंधरा राजे के लिए राजनीतिक परेशानियां भी खड़ी करेंगे.
उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे के कारण ही प्रदेश में बीजेपी कर्नाटकी सियासी दांव नहीं चल पाई है. बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री बनने नहीं देगा और वसुंधरा राजे किसी और को इस गद्दी तक पहुंचने नहीं देंगी.