राजस्थान: सत्ता जाने के बाद भी बीजेपी में वसुंधरा राजे का दबदबा बरकरार, बनी रहेंगी राज्य की सर्वेसर्वा

By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 15, 2018 11:05 PM2018-12-15T23:05:37+5:302018-12-15T23:05:37+5:30

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सत्ता भले ही चली गई हो, लेकिन झालरापाटन से जीत के कारण वे राजस्थान भाजपा की सर्वेसर्वा बनी रहेंगी

Rajasthan goes to power but Rajasthan will continue to be BJP's chief minister Vasundhara Raje | राजस्थान: सत्ता जाने के बाद भी बीजेपी में वसुंधरा राजे का दबदबा बरकरार, बनी रहेंगी राज्य की सर्वेसर्वा

राजस्थान: सत्ता जाने के बाद भी बीजेपी में वसुंधरा राजे का दबदबा बरकरार, बनी रहेंगी राज्य की सर्वेसर्वा

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सत्ता भले ही चली गई हो, लेकिन झालरापाटन से जीत के कारण वे राजस्थान भाजपा की सर्वेसर्वा बनी रहेंगी. राजस्थान में भाजपा की हार के बावजूद राजे की सियासी हैसियत बनी हुई है, यदि वे झालरापाटन से चुनाव हार जाती तो जरूर उनके सियासी भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग जाता, लेकिन अब वे फिर से अपना राजनीतिक ग्राफ ठीक कर सकती हैं.

दरअसल, भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व से राजे के सियासी संबंध जग जाहिर हंै. राजस्थान में हुए उपचुनाव में भाजपा की हार ने राजे के नेतृत्व के लिए राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया था. उसके बाद राजे को गद्दी से हटाने के प्रयास जरूर हुए, किन्तु कामयाबी नहीं मिली, अलबत्ता राजे के प्रमुख समर्थक रहे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी की जगह मदनलाल सैनी नया प्रदेशाध्यक्ष बना दिया गया.

अशोक परनामी के त्यागपत्र के बाद नया प्रदेशाध्यक्ष बनाने के मुद्दे पर भी राजे का केन्द्र से टकराव करीब ढाई माह तक चलता रहा और राजे ने केन्द्र की पसंद के प्रस्तावित अध्यक्ष- गजेन्द्र सिंह शेखावत को स्वीकार नहीं किया. कर्नाटक विस चुनाव में भाजपा मात खा गई तो भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने अपने कदम पीछे हटा लिए और आपसी सहमति से मदनलाल सैनी नए प्रदेशाध्यक्ष बना दिए गए.

विस चुनाव के दौरान जहां राजे को अपनी साख बचानी थी, वहीं केन्द्र को आगामी लोकसभा चुनाव के नतीजों की चिंता थी, लिहाजा सियासी रस्साकशी रूक गई.

राजे के सियासी विरोधी चाहते थे कि उन्हें झालरापाटन से चुनाव हरा कर राजस्थान की राजनीति से विदा कर दिया जाए, परन्तु तकदीर ने उनका साथ दिया और वे चुनाव जीत गई. हालांकि, राजे के खिलाफ मानवेन्द्र सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया था और कुछ राजपूत संगठन भी सिंह को समर्थन का एलान कर चुके थे, लेकिन राजे झालरापाटन से जीत गई. उनकी जीत में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की उल्लेखनीय भूमिका रही.

अब राजे नए सिरे से देश-प्रदेश की राजनीति में अपनी सियासी भूमिका लिख सकेंगी. इस वक्त पीएम मोदी और अमित शाह के सामने सवाल राजस्थान में लोकसभा की पच्चीस सीटों का है. पिछले लोस चुनाव में भाजपा ने यहां से 25 में से 25 सीटें जीती थी, परन्तु वर्तमान विस चुनाव परिणाम के सापेक्ष देखें तो भाजपा के लिए आधी सीटें जीतना भी मुश्किल है. यदि राजे कोशिश करेंगी तो लोस चुनाव में भाजपा अपनी स्थिति को फिर से सुधार सकती है, लेकिन यह इस पर निर्भर है कि पिछले पांच सालों में मोदी-शाह के साथ राजे के सियासी संबंध वास्तव में कैसे रहे हैं? और यह बात, उन तीनों से बेहतर कोई और नहीं जान सकता है!

Web Title: Rajasthan goes to power but Rajasthan will continue to be BJP's chief minister Vasundhara Raje

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