राजस्थान चुनावः सीएम पद ने ही BJP को किया सत्ता से बाहर? ये है वजह
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 15, 2018 11:10 AM2018-12-15T11:10:23+5:302018-12-15T11:10:23+5:30
केंद्र सरकार के निर्णयों ने प्रदेश के राजपूतों, ब्राह्मणों को ही नहीं, भाजपा के वोट बैंक- शहरी मतदाता और व्यापारी वर्ग को भी खासा नाराज कर दिया, नतीजा- राजे सरकार के अनेक मंत्री चुनाव हार गए.
राजस्थान में सीएम पद की रस्साकशी ने कांग्रेस के चार दिन खराब कर दिए, लेकिन भाजपा में भी चार साल तक सीएम वसुंधरा राजे और वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी के बीच रस्साकशी चली, जिसके नतीजे में प्रदेश में न केवल भाजपा की सियासी तस्वीर खराब हो गई, बल्कि भाजपा से अलग हो कर घनश्याम तिवाड़ी ने अलग पार्टी खड़ी कर ली. हालांकि, इस चुनाव में घनश्याम तिवाड़ी कोई बड़ी कामयाबी तो दर्ज नहीं करवा सके, लेकिन भाजपा का नुकसान जरूर करवा दिया.
जिस तरह से तिवाड़ी विभिन्न मुद्दों पर सीएम राजे पर सियासी हमले करते रहे, उसके नतीजे में वर्ष 2013 के चुनाव में जो मतदाता भाजपा के करीब आ गए थे, खासकर ब्राह्मण मतदाता, वे फिर से कांग्रेस की ओर लौट गए.
केंद्र सरकार के निर्णयों ने प्रदेश के राजपूतों, ब्राह्मणों को ही नहीं, भाजपा के वोट बैंक- शहरी मतदाता और व्यापारी वर्ग को भी खासा नाराज कर दिया, नतीजा- राजे सरकार के अनेक मंत्री चुनाव हार गए. हालांकि, राजनाथ सिंह की चुनावी सभाओं और देवस्थान बोर्ड के अध्यक्ष एस.डी. शर्मा की सक्रि यता के चलते, उतना बड़ा नुकसान नहीं हुआ, जितनी आशंका व्यक्त की जा रही थी.
बहरहाल, कांग्रेस ने चुनावी जंग तो जीत ली है, परंतु प्रदेश के प्रमुख कांग्रेसी नेता जनता की जरूरतों पर फोकस होने के बजाय अपनी व्यक्तिगत महत्वकांक्षाओं पर ही अड़े रहे तो सियासी बाजी पलटने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा.
खासकर, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है. वैसे भी राजस्थान की जनता दो दशक से किसी भी सरकार को अपने वादे पूरे करने के लिए पांच साल से ज्यादा का वक्त नहीं दे रही है.