ये हैं राजस्थान की वो दस सीटें जिसपर टिका है सारा चुनावी खेल, जानें क्या कहता है 'दस का दम'
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 6, 2018 03:56 AM2018-12-06T03:56:47+5:302018-12-06T03:56:47+5:30
राजस्थान में विधान सभा चुनाव सात दिसम्बर को होने वाले हैं। मतगणना 11 दिसम्बर को है। राज्य में मुकाबका बीजेपी और कांग्रेस के बीच है।
राजस्थान में चुनाव प्रचार थमने के बाद भी जनता की खामोशी उम्मीदवारों की बेचेनी बढ़ा रही है। मतदाताओं की इस खामोशी ने चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है। वैसे तो कई सीटों पर कांटे की टक्कर है, लेकिन दस ऐसी सीटें हैं, जहां के नतीजे क्या होंगे, इस पर सभी की नजर है।
1- सबसे चर्चित सीट है- टोंक से राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की, जहां भाजपा ने मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार कर मुकाबले को रोचक बना दिया है। यहां जातिगत समीकरण ही नतीजों की दिशा तय करेगी।
2- दूसरी सीट है- सीएम वसुंधरा राजे की झालरपाटन सीट। यहां से सीएम राजे लगातार चुनाव जीतती रहीं हैं, परन्तु इस बार मानवेन्द्र सिंह को यहां से कांग्रेस प्रत्याशी बना कर कांग्रेस ने सीएम राजे को उलझाने की कोशिश की है।
3- तीसरी प्रमुख सीट है- उदयपुर से प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया की, जिन्हें दो मोर्चो पर एकसाथ लड़ना पड़ रहा है। जहां कांग्रेस ने उनके खिलाफ सशक्त उम्मीदवार के तौर पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री गिरिजा व्यास को टिकट दिया है, वहीं भाजपा से बागी हो कर चुनाव लड़ रहे भाजपा के ही पुराने साथी कटारिया की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
4- चौेथी सीट है- सांगानेर की, जहां से भावापा के अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार वे इसी सीट से भाजपा की ओर से भारी मतों से जीते थे, लेकिन कुछ समय पहले उन्होंने भाजपा छोड़ दी और अपनी नई राजनीतिक पार्टी बना ली है। तीसरे मोर्चे के प्रमुख नेता घनश्याम तिवाड़ी को यहां कांग्रेस और भाजपा, दोनों ओर से चुनौती मिल रही है। यहां से तिवाड़ी की जीत और उनकी पार्टी को मिलने वाली सीटों, वोटों से ही उनके सियासी भविष्य की कहानी लिखी जाएगी।
5- पांचवीं सीट है- राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हनुमान बेनीवाल की नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट। हनुमान बेनीवाल राजस्थान में नए जाट नेता के तौर पर सामने आए हैं। उनकी हार-जीत पर निर्भर है, उनका और उनकी पार्टी का सियासी भविष्य।
6- छठी सीट है- आदर्श नगर, जहां से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सीएम वसुंधरा राजे के विश्वसनीय सहयोगी अशोक परनामी, भाजपा की ओर से चुनावी मैदान में हंै। पिछली बार उन्होंने चार हजार से भी कम वोटों से यह सीट जीती थी। इस बार भी वे कड़े संघर्ष में हैं तथा इस विधान सभा क्षेत्र की कच्ची बस्ती के वोट नतीजों की दिशा तय करेंगे।
7- सातवीं सीट है- सपोटरा, जहां राज्य सभा सांसद डाॅ। किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी गोलमा देवी चुनाव लड़ रही हैं। पिछली बार भाजपा से अलग हो कर डाॅ। मीणा की पार्टी ने विस चुनाव लड़ा था और लंबे समय तक तीसरे मोर्चे के लिए सक्रिय रहे, परन्तु विस चुनाव से कुछ समय पहले वे भाजपा में लौट आए। डाॅ। मीणा की भाजपा वापसी से भाजपा को उनके प्रभाव क्षेत्र में उम्मीदें तो बहुत हैं, लेकिन चुनावी परिणाम से ही पता चलेगा कि जनता क्या सोचती है। सपोटरा से पिछली बार भाजपा की लहर के बावजूद कांग्रेस के रमेश मीणा छह हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते थे। देखना दिलचस्प होगा कि क्या डाॅ। किरोड़ी लाल मीणा यहा की सियासी गणित बदल पाते हैं।
8- आठवीं सीट है- बीकानेर पश्चिम विस सीट, जहां से पूर्व राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष और पांच बार एमएलए रहे बीडी कल्ला चुनाव लड़ रहे हैं। यहा उनका मुकाबला उनके बहनोई और विस चुनाव में हैटट्रिक लगाने की तैयारी में जुटे भाजपा एमएलए गोपाल जोशी से है। इस बार भारत माता की जय, से चर्चा में आई इस सीट पर पिछली बार भाजपा लहर में बीडी कल्ला करीब साढे छह हजार वोटों से चुनाव हार गए थे।
9- नौवीं सीट है- कोटा उत्तर, जहां कांग्रेस के शांति धारीवाल का मुकाबला भाजपा के प्रहलाद गुंजल से है। पिछली बार विस चुनाव में भाजपा लहर में शांति धारीवाल करीब पन्द्रह हजार वोटों से चुनाव हार गए थे, इसीलिए सवाल है कि क्या वे पिछला सियासी हिसाब बराबर कर पाएंगे?
10- दसवीं सीट है- अंता विस सीट जहां से राजस्थान सरकार के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने पिछली बार कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया को तीन हजार से ज्यादा वोट से हरा दिया था, इस बार दोनों के बीच कड़ा मुकाबला है, इसीलिए उत्सुकता बनी हुई है कि- इस बार नतीजा कया होगा?
इनके अलावा धार्मिक समीकरण के कारण पोकरण, भाजपा के बागी मंत्री, विधायकों के कारण करीब आधा दर्जन सीटों पर तो निर्दलीय और तीसरे मोर्चे के कारण करीब एक दज्रन सीटों पर सवालिया निशान है। हालांकि, एक सौ से ज्यादा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है, इसलिए किसी एक दल की सरकार बनने की उममीद जताई जा रही है, लेकिन मतदाताओं के मन की बात तो 11 दिसंबर 2018 को ही सामने आएगी।