राजस्थानः राज्य के हिस्से की राशि समय पर मिले, इसके लिए सीएम गहलोत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिले
By प्रदीप द्विवेदी | Published: June 16, 2019 05:44 AM2019-06-16T05:44:50+5:302019-06-16T05:44:50+5:30
सीएम गहलोत ने शनिवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर राज्य के विभिन्न वित्तीय मामलों पर चर्चा की, उन्होंने विभिन्न पेयजल परियोजनाओं के वित्तीय प्रस्तावों को अनुमति देने तथा राज्यहित में केंद्रीय योजनाओं की राशि समय पर जारी करने का आग्रह किया
केंद्रीय करों में प्रदेश का हिस्सा पहले की तरह हर माह की पहली तारीख को दिया जाए. यह कहना है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का, उन्होंने कहा कि- केंद्र सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में इस व्यवस्था को बदल दिया है, इससे राज्यों को वित्तीय व्यवस्था में परेशानी आ रही है.
प्रदेश को महीने के पहले दिन वेतन और पेंशन का भुगतान करना होता है, लेकिन केंद्र से मिलने वाले राज्यांश में देरी की वजह से वेतन एवं पेंशन के समय पर भुगतान में कठिनाई होती है.
सीएम गहलोत ने शनिवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर राज्य के विभिन्न वित्तीय मामलों पर चर्चा की, उन्होंने विभिन्न पेयजल परियोजनाओं के वित्तीय प्रस्तावों को अनुमति देने तथा राज्यहित में केंद्रीय योजनाओं की राशि समय पर जारी करने का आग्रह किया और मुलाकात के बाद इस संबंध में अपनी बात रखते हुए कई ट्वीट भी किए.
राजस्थान के सामने पेयजल की समस्या प्रमुख रूप से रही है, इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री से करीब 5473 करोड़ रुपए की लागत की सात पेयजल परियोजनाओं के वित्तीय प्रस्तावों को शीघ्र स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया. उन्होंने राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल परियोजना के तीसरे चरण के लिए 1450 करोड़ रूपए की बाह्य वित्त पोषण सहायता प्राप्त करने के प्रस्ताव को स्वीकृति देने की भी मांग की, जिससे जोधपुर, बाडमेर और पाली के 2014 गांवों एवं 5 कस्बों को वर्ष 2051 तक जल आपूर्ति हो सकेगी.
सीएम गहलोत का कहना है कि राजस्थान के विभिन्न जिलों में पेयजल के लिए जापान की सहयोग एजेंसी जायका से कर्ज लेने के लिए कई योजनाएं प्रस्तावित हैं और इनके प्रस्ताव केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय तथा शहरी विकास मंत्रालय के पास लंबित हैं.
यही नहीं, सीएम गहलोत ने केंद्रीय वित्त मंत्री से प्रदेश में किसानों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए की गई कर्जमाफी योजना के लिए केंद्र से अपेक्षित सहयोग भी मांगा. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार ने सहकारी बैंकों के करीब 24 लाख किसानों के फसली ऋण माफ किए हैं, जिनसे राज्य सरकार पर 15 हजार 679 करोड़ रुपए से अधिक का वित्तीय भार आया है.
सीएम गहलोत का कहना है कि प्रदेश सरकार राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से फसली ऋण लेने वाले किसानों के एनपीए श्रेणी के फसली ऋणों को 2 लाख रुपए की सीमा तक माफ कर रही है, लेकिन वित्तीय संस्थाएं भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं, इसलिए बैंकों के साथ ऋण माफी के लिए एकमुश्त समझौते के निर्धारण में केंद्र सहयोग प्रदान करे.
आर्थिक जरूरतों का जिक्र करते हुए गहलोत का कहना है कि प्रदेश में विकास योजनाएं समय पर पूरी हों और उनके लिए धन की कमी नहीं हो, इसके लिए राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 3 प्रतिशत के बजाय 4 प्रतिशत तक शुद्ध ऋण लेने की अनुमति प्रदान की जाए. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के लिए बाजार ऋण लेने की निर्धारित प्रक्रिया को स्थायी बनाए. केंद्र सरकार द्वारा ऋण लेने की सहमति प्रदान नही किए जाने से राज्य के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं.
इससे पहले भी विभिन्न मुद्दों पर सहयोग के लिए सीएम गहलोत ने केन्द्र सरकार के समक्ष अपनी बात रखी थी. देखना दिलचस्प होगा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार को केन्द्र की बीजेपी सरकार का अपेक्षित सहयोग मिल पाता है या नहीं?