अशोक गहलोत कैबिनेट: कांग्रेस ने जाटों का रखा विशेष ध्यान, गूजरों को नहीं मिला वाजिब स्थान

By विकास कुमार | Published: December 24, 2018 02:58 PM2018-12-24T14:58:39+5:302018-12-24T14:58:39+5:30

राजस्थान मंत्रिमंडल शपथ : प्रदेश की आबादी में गूजरों की आबादी 5 से 6 प्रतिशत तक मानी जाती है। लेकिन उनके दबदबे को देखते हुए एक मंत्री पद का मिलना समुदाय को नाराज कर सकता है, ऐसे में जब उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट इसी समुदाय से आते हैं।

Rajasthan cabinet : gujjar didn't get enough space even after Deputy CM Sachin pilot is Gujjar | अशोक गहलोत कैबिनेट: कांग्रेस ने जाटों का रखा विशेष ध्यान, गूजरों को नहीं मिला वाजिब स्थान

अशोक गहलोत कैबिनेट: कांग्रेस ने जाटों का रखा विशेष ध्यान, गूजरों को नहीं मिला वाजिब स्थान

राजस्थान में आज कांग्रेस पार्टी के मंत्रिमंडल का शपथ-ग्रहण समरोह हुआ. 13 कैबिनेट मंत्री और 10 राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाया गया. कांग्रेस के कैबिनेट में जातीय समीकरणों का खास ध्यान रखा गया है. मंत्रिमंडल के निर्माण में मोदी-शाह मॉडल को फॉलो किया गया है. चुनाव पूर्व उन सभी जातियों का विशेष ध्यान रखा गया है, जो राजस्थान की राजनीति में दबदबा रखते हैं. लेकिन सबसे बड़ा धक्का गूजर समुदाय को लगा है. उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के गूजर होने के बावजूद मंत्रिमंडल में समुदाय के केवल एक विधायक को जगह मिला है. 

राजस्थान में जातीय समीकरण के हिसाब से देखा जाए तो जाट सबसे ज्यादा संख्या में है. जाटों की कूल आबादी 10 से 15 प्रतिशत के बीच है. इसलिए उनकी संख्या का विशेष ध्यान रखा गया है . जाट कोटे से 4 मंत्रियों ने शपथ लिया है. ऐसा कहा जा रहा था कि मानवेन्द्र सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद जाट कांग्रेस से नाराज हो गए थे. लेकिन चुनाव में जाट बहुल इलाकों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, इसलिए पार्टी ने भी इनका विशेष ख्याल रखा है. 

गूजरों की अनदेखी 

राजस्थान की राजनीति में गूजरों का भी खासा दबदबा रहा है. लेकिन एक सच ये भी है कि आज तक कोई भी गूजर प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बना है. इस बार टफ फाइट होने के बावजूद सचिन पायलट चूक गए. अशोक गहलोत जाति से माली हैं, लेकिन उम्मीदवारी के दौरान सचिन पायलट पर भारी पड़े. माली या सैनी समुदाय भी प्रदेश में राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से मजबूत माना जाता है. 

प्रदेश की आबादी में गूजरों की आबादी 5 से 6 प्रतिशत तक मानी जाती है. लेकिन उनके दबदबे को देखते हुए एक मंत्री पद का मिलना समुदाय को नाराज कर सकता है, ऐसे में जब प्रदेश का उपमुख्यमंत्री इसी समुदाय से आता हो. पार्टी ने सभी जातियों का ख्याल रखा है. राजपूत और ब्राह्मण समुदाय से 2-2 विधायकों को मंत्री पद दिया गया है. 

खैर, लोकसभा चुनाव से पहले जातिगत समीकरणों को साधना देश की राजनीति का पुराना फैशन रहा है. हो सकता है कि इसका असर आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार में देखने को मिल सकता है. लेकिन फिलहाल सचिन पायलट और गूजरों का नाराज होना लाजिमी है. ऐसे राजस्थान में जातिगत वर्चस्व के समीकरण जाट बनाम राजपूत और मीणा बनाम गूजर है. अशोक गहलोत के लिए चुनाव से पहले इन सभी जातिगत समीकरणों को साधना मुश्किल काम होगा, क्योंकि राहुल गांधी ने इन्हें लोकसभा चुनाव को देखते हुए ही सचिन पायलट के ऊपर तरजीह दिया था.
 

Web Title: Rajasthan cabinet : gujjar didn't get enough space even after Deputy CM Sachin pilot is Gujjar

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