राजस्थानः इस बार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाना आसान, लेकिन किसे? कहना मुश्किल!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 1, 2019 05:58 PM2019-07-01T17:58:44+5:302019-07-01T17:58:44+5:30
इस वक्त बतौर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आधा दर्जन नाम चर्चा में हैं, जिनमें सतीश पूनिया, वासुदेव देवनानी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, राजेंद्र राठौड़, मदन दिलावर, अरूण चतुर्वेदी, सीपी जोशी आदि के नाम प्रमुख हैं.
राजस्थान की सियासी तस्वीर बदल चुकी है. जब पिछली बार मदनलाल सैनी को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, तब वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं और बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व के साथ उनकी असहमति के चलते बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का निर्णय लंबे समय तक अटका रहा था. बाद में करीब आते विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीच का रास्ता निकाला गया और मदनलाल सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया.
अब बीजेपी के सामने किसी तरह की सियासी उलझन नहीं है. वसुंधरा राजे सीएम नहीं हैं, तो पीएम मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बन गए हैं. मतलब... अब बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व एक तरफा निर्णय कर सकता है. जाहिर है, इस बार वसुंधरा राजे के पक्ष पर शायद ही ध्यान दिया जाए, किन्तु इतना तय है कि जो भी अध्यक्ष बनेगा वह संघ की सहमति से ही बनेगा.
इस वक्त बतौर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आधा दर्जन नाम चर्चा में हैं, जिनमें सतीश पूनिया, वासुदेव देवनानी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, राजेंद्र राठौड़, मदन दिलावर, अरूण चतुर्वेदी, सीपी जोशी आदि के नाम प्रमुख हैं.
इस पद के लिए आमेर से विधायक और बीजेपी के लगातार चार बार प्रदेश महामंत्री रह चुके सतीश पूनिया का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है. वे संघ पृष्ठभूमि से भी हैं. सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को इस बार केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि उन्हें किसी बड़ी जिम्मेदारी के लिए ही केन्द्रीय मंत्रिमंडल से दूर रखा गया है. उन्हें भी बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है.
वासुदेव देवनानी संघ पृष्ठभूमि के साथ-साथ शुरूआत से ही बीजेपी से जुड़े हुए हैं. उन्हें सत्ता और संगठन का खासा अनुभव है. वे भी प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी जाति समीकरण साधने के नजरिए से भी यह निर्णय कर सकती है. ऐसी स्थिति में प्रदेशाध्यक्ष जाट, ब्राह्मण या राजपूत समाज से हो सकता है. राजस्थान में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को साथ लेकर चलेगा या फिर नया प्रादेशिक नेतृत्व तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ेगा.