राजस्थानः मोदी सरकार को आईना दिखाने की गहलोत की कवायद, वसुंधरा के कार्यकाल में ठंडे बस्ते में गई योजनाओं पर फोकस
By प्रदीप द्विवेदी | Published: June 22, 2019 06:32 PM2019-06-22T18:32:47+5:302019-06-22T18:32:47+5:30
पिछले दिनों नीति आयोग की बैठक में सीएम गहलोत ने रतलाम-बांसवाड़ा-डूंगरपुर रेल लाइन सहित तीन प्रमुख रेल योजनाओं का मुद्दा उठाया था. पिछली केन्द्र और राज्य की बीजेपी सरकारों की उदासीनता के चलते ये योजनाएं न केवल ठप्प हो गई, बल्कि अब उनकी लागत भी काफी बढ़ गई है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल की रेल, रिफाइनरी जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं को उनके बाद आई वसुंधरा राजे सरकार ने ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया था, अब सीएम गहलोत फिर से उन योजनाओं को फोकस करके केन्द्र की बीजेपी सरकार को आईना दिखा रहे हैं.
पिछले दिनों नीति आयोग की बैठक में सीएम गहलोत ने रतलाम-बांसवाड़ा-डूंगरपुर रेल लाइन सहित तीन प्रमुख रेल योजनाओं का मुद्दा उठाया था. पिछली केन्द्र और राज्य की बीजेपी सरकारों की उदासीनता के चलते ये योजनाएं न केवल ठप्प हो गई, बल्कि अब उनकी लागत भी काफी बढ़ गई है.
इधर, सीएम गहलोत ने एक बैठक में रिफाइनरी की प्रगति की समीक्षा की और उन्होंने परियोजना की अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन गतिविधियों की समीक्षा करते हुए इन्हें चरणबद्ध रूप से समय पर पूर्ण करने के निर्देश भी दिये.
उन्होंने राज्य सरकार तथा एचपीसीएल के उच्च अधिकारियों को निर्देश दिए कि पचपदरा में स्थापित की जा रही रिफाइनरी सह-पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स परियोजना को चार वर्ष की तय समय सीमा में पूरा कर मिसाल पेश करें. उन्होंने कहा कि यह रिफाइनरी राज्य की सबसे महत्वपूर्ण परियोजना है, इसे एक मॉडल रिफाइनरी के रूप में विकसित किया जाए.
सीएम गहलोत ने रिफाइनरी को लेकर कईं सुझाव भी दिए. उनका कहना है कि- पचपदरा एवं जोधपुर में उच्चस्तरीय कौशल विकास केन्द्रों की स्थापना की जाए तथा रिफाइनरी क्षेत्र में एक आईटीआई भी स्थापित की जाए, जहां युवाओं को पेट्रो-केमिकल एवं इससे जुड़े उत्पादों के निर्माण से संबंधित गाइडेंस और प्रशिक्षण मिल सके. उनका कहना है कि रिफाइनरी के आसपास पेट्रो-केमिकल उत्पादों की खपत के लिए इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर भी विकसित किया जाए, इससे रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध हो सकेंगे.
यही नहीं, गहलोत ने यह भी कहा कि रिफाइनरी में बड़ी संख्या में लोग काम करेंगेे, उनके लिए सुविधाजनक टाउनशिप विकसित करने के साथ ही सभी सुविधाओं से युक्त अस्पताल एवं स्कूल की स्थापना भी की जाए.साथ ही, रिफाइनरी के कार्यों के दौरान स्थानीय निवासियों की सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा जाए, उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हो.
सीएम गहलोत का कहना है कि रिफाइनरी के कारण जोधपुर-बाड़मेर के बीच भारी यातायात बढ़ेगा, इसे देखते हुए इस राष्ट्रीय राजमार्ग को 6 लेन का बनाने के साथ ही वे-साइड फेसिलिटी जैसे पार्किंग, होटल, रेस्टोरेंट और वाहन चालकों के लिए विश्राम एवं भोजन आदि की सुविधाएं विकसित की जाएं. बालोतरा से पचपदरा तक रेल सुविधा विकसित करने के भी प्रयास किए जाएं.
इस बैठक में एचपीसीएल के सीएमडी एमके सुराणा ने रिफाइनरी की प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि- इस परियोजना को अक्टूबर, 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है. इसके निर्माण से करीब चालीस हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और करीब साठ हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल सकेगा. निर्माण कार्यों के लिए अब तक करीब 10 हजार करोड़ रूपये के टेंडर जारी हो चुके हैं और 1 हजार 348 करोड़ रूपये खर्च भी किए जा चुके हैं. रिफाइनरी की आंतरिक सड़कों और बिटुमिन कॉरपेट का काम पूरा हो चुका है.
इतना ही नहीं, करीब 27 किलोमीटर की चारदीवारी में से 20 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है. सभी 12 लाइसेंस यूनिट के लैटर ऑफ एक्सपटेंस जारी होने के साथ ही 9 लाइसेंस यूनिट के बेसिक डिजाइन इंजीनियरिेंग पैकेज का काम भी पूरा हो गया है. साथ ही, 5 लाइसेंस यूनिट के इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कन्स्ट्रक्शन एण्ड कमिशनिंग कॉन्ट्रेक्ट की एनआईटी जारी कर दी गई है. इस बैठक में उन्होंने भरोसा दिलाया कि रिफाइनरी का काम तेजी से चल रहा है और इसे समय सीमा में पूरा किया जाएगा.
रिफाइनरी का काम तो तेजी से पूरा होने की संभावना नजर आ रही है, लेकिन रतलाम-बांसवाड़ा-डूंगरपुर रेल लाइन का काम पटरी पर आ पाएगा, इसके आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं, क्योंकि एक तो अब इसकी लागत बहुत बढ़ गई है और दूसरा-केन्द्र की बीजेपी की सरकार एवं प्रदेश की कांग्रेस सरकार के बीच इस योजना को लेकर सहमति बनाना आसान नहीं है.