राजस्थानः अपनी योजनाओं के साथ-साथ राहुल गांधी के सपने भी साकार करेंगे अशोक गहलोत?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: January 30, 2019 05:56 AM2019-01-30T05:56:20+5:302019-01-30T05:56:20+5:30
यदि इसमे कामयाबी मिलती है, तो राजस्थान इस योजना को प्रायोगिकरूप देने वाला देश का पहला राज्य होगा.
पिछली बार बीजेपी के सत्ता में आने के बाद वसुंधरा राजे सरकार ने अशोक गहलोत की वागड़ की रेल जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया था, लेकिन इस बार सीएम बनने के बाद उन्होंने संकेत दिए है कि ऐसी योजनाओं पर फिर से काम शुरू किया जाएगा. डूंगरपुर की सभा में उन्होंने कहा कि पहले की बीजेपी सरकार ने जो रतलाम, बांसवाड़ा, डूंगरपुर रेल का काम ठप्प कर दिया था, उसे फिर से शुरू किया जाएगा.
यही नहीं, वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सपनों को भी साकार करने में लगे हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने दस दिन में किसानों की कर्जामाफी का जो वादा किया था, उसे तो उन्होंने पूरा कर दिखाया, अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नए एलान- न्यूनतम आय गारंटी योजना, पर भी अमल करना शुरू कर रहे हैं.
यदि इसमे कामयाबी मिलती है, तो राजस्थान इस योजना को प्रायोगिकरूप देने वाला देश का पहला राज्य होगा.
इस संबंध में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का प्रेस को कहना था कि- उनकी सरकार ने न्यूनतम आमदनी की गारंटी योजना लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है. इतना ही नहीं, यह भी दावा किया गया कि बहुत जल्दी राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जहां जनता सोशल सिक्योरिटी नेटवर्क का हिस्सा होगी और सभी के खाते में आमदनी आएगी.
उल्लेखनीय है कि न्यूनतम आमदनी की गारंटी योजना की चर्चा काफी समय से चल रही थी, लेकिन इसका एलान करने के मामले में कांग्रेस बीजेपी से बाजी मार ले गई. छत्तीसगढ़ दौर पर राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह बड़ा एलान किया था कि- केंद्र में कांग्रेस की सरकार आने पर गरीबी दूर करने का काम किया जाएगा और इसके लिए देश के हर गरीब को न्यूनतम आय गारंटी दी जाएगी. मतलब, हर गरीब व्यक्ति के खाते में न्यूनतम आमदनी दी जाएगी. राहुल गांधी ने यह एलान करते हुए कहा था कि दुनिया की किसी भी सरकार ने ऐसा नहीं किया है.
बहरहाल, यह योजना जितनी सुनने में अच्छी है, उतनी ही हकीकत में इसलिए मुश्किल है कि इसके लिए आवश्यक धन जुटाना आसान नहीं है. सीएम अशोक गहलोत कागजी योजनाओं पर काम नहीं करते हैं, इसलिए यह माना जा सकता है कि वे यदि इस योजना पर काम करेंगे तो इसका प्रायोगिकरूप भी सामने आएगा.
देश-प्रदेश में अनेक जनकल्याण योजनाएं चल रही है और उनमें से कई योजनाओं के लिए आर्थिक व्यवस्थाएं कर पाना मुश्किल होता जा रहा है. क्योंकि यह योजना, वन टाइम इन्वेस्टमेंट पर आधारित नहीं है और इसके लिए लगातार धन की आवश्यकता रहेगी, इसलिए इसकी आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए ऐसे सोर्स की जरूरत रहेगी जहां से नियमित पैसा आता रहे, हालांकि गैरजरूरी खर्चों पर नियंत्रण करके कुछ हद तक इसमें कामयाबी पाई जा सकती है, लेकिन बड़े फाइनेंशियल सोर्स के बगैर इसे जारी रखना संभव नहीं होगा.
यदि चुनाव से पहले गहलोत सरकार इसे प्रायोगिकरूप दे सकी तो लोस चुनाव में कांग्रेस को बड़ा फायदा इसलिए होगा कि जनता की नजरों में ऐसे एलान केवल चुनावी वादे होते हैं, जो शायद ही पूरे होते हों?