वर्षा जल संचयन योजना: 39000 करोड़ रुपये की योजना में केवल 218 करोड़ के काम हुए पूरे, इन राज्यों में सबसे बुरा हाल
By नितिन अग्रवाल | Published: March 8, 2019 08:40 AM2019-03-08T08:40:30+5:302019-03-08T08:40:30+5:30
महाराष्ट्र के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, बिहार और छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक काम लटके हुए हैं।
वर्षा जल संचय (आरडब्ल्यूएच) के लिए हजारों करोड़ों रुपए की योजना सालों बाद भी कागजों से निकलकर हकीकत नहीं बन पाई है। शहरी विकास मंत्रालय के अटल नवीनीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) के तहत लगभग 39000 करोड़ रुपए की लागत वाली योजना के केवल 218 करोड़ रुपए के काम ही पूरे हुए है जबकि बाकी शुरू भी नहीं हुए है।
महाराष्ट्र में अमृत योजना के तहत वर्षा जल संचय के लिए 4311.7 करोड़ रुपए के काम किए जाने थे लेकिन चार साल बीतने के बाद एक भी काम पूरा नहीं हुआ है। अभी तक लगभग 3395 करोड़ रुपए के कामों के ठेके ही जारी किए जा सके हैं. 916.37 करोड़ रुपए के काम तो निविदा के विभिन्न स्तरों से आगे नहीं बढ़ पाए हैं।
महाराष्ट्र के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, बिहार और छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक काम लटके हुए हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि संसदीय समिति इसे लेकर सरकार को फटकार लगते हुए कह चुकी है कि यह स्थिति योजना के लिए अच्छी नहीं है। इसे पूरा करने के लिए समयबद्ध कार्यक्र म तैयार करना चाहिए।
साल 2022 तक था योजना पूरा करने का लक्ष्य
शहरी विकास पर संसदीय की स्थाई समिति ने भी हाल ही में इसे लेकर सरकार को फटकार लगाई है। सभी सरकारी इमारतों और कॉलोनियों में आरडब्ल्यूएच व्यवस्था अनिवार्य बनाने के निर्देश जारी करने के बावजूद इसे अब तक लागू नहीं किया गया है। आरडब्ल्यूएच के लिए वित्त वर्ष 2015-16 में शुरू की गई योजना को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन चार साल बाद भी 37,742 करोड़ की योजना में केवल 281.18 करोड़ रुपए के काम ही पूरे किये गए हैं।
केंद्र ने राज्यों को दी थी भारी धनराशि
संसद में पेश समिति की ताजा रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी इमारतों में वर्षा जल संचय (आरडब्ल्यूएच) की व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को भारी धनराशि उपलब्ध कराई है इसके बावजूद इसकी कोई व्यवस्था नहीं हुई है। समिति ने केंद्रीय मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित भविष्य की सभी परियोजनाओं में वर्षा जल संचय प्रणाली को अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए सख्त सिफारिश कर चुकी है। समिति ने बढ़ते शहरीकरण के कारण जलस्तर में गिरावट और नदियों के सूखने पर चिंता जताते हुए आरडब्ल्यूएच को ही समाधान माना है।
समिति ने यह नाराजगी जताई कि यह बहुत ही हताश करने वाली स्थिति है कि केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को आरडब्ल्यूएच के लिए भारी धनराशि आवंटित करने के बावजूद इसे लागू नहीं किया जा रहा है। आरडब्ल्यूएच की अनिवार्य व्यवस्था करने के निर्देश के बावजूद सरकारी इमारतों और कॉलोनियों इसे लागू नहीं किए जाने पर भी समिति ने नाराजगी जताई। समिति ने केंद्रीय मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित भविष्य की सभी परियोजनाओं में वर्षा जल संचय प्रणाली को अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए सख्त सिफारिश की।