अब रेलवे भी देगा सब्सिडी छोड़ने का विकल्प, हवाई यात्रा के बराबर हो सकता है रेल सफर

By रजनीश | Published: July 10, 2019 10:23 AM2019-07-10T10:23:15+5:302019-07-10T10:23:15+5:30

सूत्रों के अनुसार रेलवे का यह कदम एलपीजी सिलेंडर की सब्सिडी से अलग है। क्योंकि रेलवे में दी जाने वाली सब्सिडी सामान्य खजाने से नहीं बल्कि रेलवे की माल-भाड़ा ढ़ोने से होने वाली आय से दी जाती है।

Railways finalising plans Give It Up for train ticket subsidy | अब रेलवे भी देगा सब्सिडी छोड़ने का विकल्प, हवाई यात्रा के बराबर हो सकता है रेल सफर

रेलवे इस काम को करने के लिए 'गिव इट अप' अभियान छेड़ेगा।

गैस की तरह अब रेलवे भी यात्रियों को टिकट पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने का विकल्प देने की तैयारी में है। रेलवे ने यह फैसला एनडीए के दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के पहले 100 दिन कार्यक्रम के तहत लिया है।

औसतन रेलवे यात्रियों को ढ़ोने का मात्र 57 परसेंट लागत ही टिकट के जरिए निकाल पाता है। सूत्रों के मुताबिक सब्सिडी छोड़ने का रेलवे का विकल्प एसी-2 टायर की यात्रा को थोड़ा महंगा बना देगी।

सूत्रों के अनुसार रेलवे का यह कदम एलपीजी सिलेंडर की सब्सिडी से अलग है। क्योंकि रेलवे में दी जाने वाली सब्सिडी सामान्य खजाने से नहीं बल्कि रेलवे की माल-भाड़ा ढ़ोने से होने वाली आय से दी जाती है।

रेलवे ने जब जुलाई 2017 में सीनियर सिटिजन के लिए स्कीम निकाला था कि वह चाहें तो सिनियर सिटिजन स्कीम का लाभ लें या फिर छोड़ भी सकते हैं। इसमें 48 लाख यात्रियों ने हिस्सा लिया जिससे रेलवे को 78 करोड़ रुपये की अधिक कमाई हुई थी।

सूत्रों के मुताबिक रेलवे प्रति किलोमीटर पर यात्रियों से 38 पैसे लेता है। अब तक की कैलकुलेशन से पता लगता है कि एसी चेयर कर और एसी थ्री टायर यात्रियों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय क्लास हैं। देखने से पता लगता है कि यह यात्रा खर्च के बाद थोड़ा फायदा भी कमाती है।

एक अधिकारी का कहना है कि नीति निर्माता इस बात पर विचार में लगे हैं कि सब्सिडी छोड़ने पर अपर एसी क्लास का किराया हवाई किराए के बारबर हो सकता है, खासकर लंबे सफर के दौरान। जबकि छोटी दूरी वाली यात्रा में बस के किराए से कॉम्पिटिशन हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है सब्सिडी छोड़ने पर आपका किराया दोगुना हो जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि उपनगरीय रेल नेटवर्क में एमएसटी के जरिए यात्रा करने वालों के लिए भी सब्सिडी छोड़ने का विकल्प होगा। हालांकि रेलवे के लागत की अवधारणा पर नीति आयोग थिंक टैंक ने सवाल किए हैं।

रेलवे इस काम को करने के लिए 'गिव इट अप' अभियान छेड़ेगा।  रेडियो, टीवी, अखबार, सोशल मीडिया, रेलवे स्टेशन के अनाउंसमेंट सिस्टम व ट्रेनों में यात्री के कम किराये के आम आदमी पर पड़ रहे भार को लेकर जागरुकता लाई जाएगी और उसे सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस पर लाखों रुपए खर्च भी होंगे।

मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी छोड़ने के लिए लोगों से आह्वान किया था। इसके बाद रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को दी जा रही सब्सिडी में भी इसी तरह की व्यवस्था को लागू किया था। यह ऑप्शन ऑनलाइन बनने वाले टिकट पर था।

Web Title: Railways finalising plans Give It Up for train ticket subsidy

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे

टॅग्स :travelट्रेवल