राहुल गांधी के लिए स्पेशल रहा 2018, इन 5 मौकों पर पीएम मोदी पर पड़े भारी

By विकास कुमार | Published: December 29, 2018 11:26 AM2018-12-29T11:26:05+5:302018-12-29T11:51:10+5:30

2018 राहुल गांधी और कांग्रेस के राजनीतिक पुर्नजागरण का वर्ष रहा. इस वर्ष के राजनीतिक सफलताओं के जरिये 2019 की तैयारी भी करनी है, इसलिए चुनौतियां अभी बाकी हैं.

Rahul Gandhi takes political lead in 2018 from PM Narendra Modi and BJP | राहुल गांधी के लिए स्पेशल रहा 2018, इन 5 मौकों पर पीएम मोदी पर पड़े भारी

राहुल गांधी के लिए स्पेशल रहा 2018, इन 5 मौकों पर पीएम मोदी पर पड़े भारी

Highlightsराहुल गांधी दिसंबर 2017 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने. राहुल गांधी का 'हिन्दू अवतार' नरेन्द्र मोदी पर भारी पड़ा. तीन राज्यों में जीत के बाद राहुल गांधी ने इस वर्ष राजनीतिक बढ़त ले लिया है.

एक और साल की अब जल्द ही विदाई होने वाली है. लोग नए साल के स्वागत की तैयारियां शुरू कर चुके हैं. ऐसे में इस साल देश में क्या बदलाव हुए, देश में कितनी आर्थिक तरक्की हुई, बॉलीवुड में कितने जोड़े इस साल विवाह के बंधन में बंधे और कई अन्य सवाल, जिनके जवाब लोग ढूंढ रहे हैं. लेकिन साल बीतने की चर्चा में देश की राजनीति को कैसे छोड़ा जा सकता है? वो भी ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव में अब चंद महीनें ही रह गए हैं. 

इस साल देश की राजनीति का विमर्श नरेन्द्र मोदी बनाम राहुल गांधी का रहा. ऐसा नहीं है कि ये अनायास ही हो गया, इसकी स्क्रिप्ट 2017 के दिसंबर महीने में ही लिख दी गई थी. राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद गाहे-बगाहे देश की राजनीति राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी के इर्द-गिर्द ही घूमती रही. भाजपा की तरफ से भी बार-बार नरेन्द्र मोदी बनाम राहुल गांधी के नैरेटिव को खड़ा किया गया. 

राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद उनके नेतृत्व में लड़ा गया पहला चुना कर्नाटक था. लेकिन इसके पहले ही वो अपने नेतृत्व क्षमता का परिचय दे चुके थे. राहुल गांधी के नेतृत्व में दिसंबर 2017 में गुजरात का चुनाव लड़ा गया था. इस चुनाव में उन्होंने बीजेपी के खिलाफ सफल गठबंधन बनाया. हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी को एक मंच पर साथ लाकर भाजपा नेतृत्व को जोरदार झटका दिया. इसका असर चुनाव नतीजों पर भी दिखा था. भाजपा की सीटें घटकर 99 पर पहुंच गई और कांग्रेस की बढ़कर 77 हो गई.  

कर्नाटक बना राहुल के नेतृत्व क्षमता की प्रयोगशाला 

कर्नाटक चुनाव में भी राहुल गांधी का जलवा देखने को मिला. 224 विधानसभा सीटों वाले राज्य में भाजपा 104 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. कांग्रेस को 78 सीटें मिली. वहीं क्षेत्रीय पार्टी जेडीएस को 37 सीटें मिली. मामला त्रिशंकु विधानसभा का हो गया. ऐसे में कयास लगाया जाने लगा कि भाजपा के धनबल और अमित शाह के नेतृत्व के सामने राहुल गांधी का टिकना मुश्किल होगा. भाजपा किसी तरह जोड़-तोड़ कर सरकार बना लेगी. लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत. राहुल गांधी के मास्टरस्ट्रोक ने अमित शाह को अपनी क्षमता पर ही शंकाशील कर दिया. और यह बाजी कांग्रेस जीत गई. कांग्रेस ने कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री का पद सौंपकर अमित शाह की योजना को धुल में मिला दिया. 

नरेन्द्र मोदी से निभाई यारियां 

राहुल गांधी का एक अलग रूप उस वक्त देखने को मिला जब संसद में उन्होंने दौड़कर नरेन्द्र मोदी को गले लगाया. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को ये बताना चाहा कि भारत का मिजाज उदारता का रहा है और आगे भी रहेगा. उन्होंने कहा कि आप मुझे भले ही अपना दुश्मन मानते हो लेकिन मैं आपको गले लगाना चाहता हूँ. बीजेपी ने इसे राहुल गांधी का सस्ता राजनीतिक हथकंडा बताया लेकिन राहुल गांधी इस बहाने मीडिया और देश में चर्चा का विषय बन गए. 

सॉफ्ट हिंदूत्व से असहज दिखे भाजपा और संघ 

राहुल गांधी ने लगातार मंदिरों के दर्शन कर अपनी छवि को प्रो हिन्दू करने में सफल रहे. उनके सॉफ्ट हिंदूत्व के विचार की भी तारीफ की गई. उन्होंने कहा कि भारत देश का जनमानस हमेशा से उदारता और सामंजस्य का रहा है. उनके इस अवतार के बाद बीजेपी और संघ में हलचल देखी गई. कैलाश मानसरोवर से लेकर दक्षिण के मंदिरों ने राहुल गांधी को उन्हें वैचारिक जीवनदान देने का काम किया. 

हिंदी हार्टलैंड में राहुल गांधी का करिश्मा 

तीन राज्यों में कांग्रेस की चुनावी जीत ने राहुल गांधी को इस साल नरेन्द्र मोदी से कई गुना ज्यादा राजनीतिक बढ़त दिलाया है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब भाजपा के नेता राहुल गांधी के नाम से घबराने लगे हैं. हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने राहुल गांधी की तारीफ की है. इन चुनावों में कांग्रेस की जीत ने राहुल को राष्ट्रीय राजनीति में एक अलग पहचान दी है जिसकी जरूरत कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव से पहले थी. देश की राजनीति में चर्चा का केंद्र आज नरेन्द्र मोदी से ज्यादा राहुल गांधी हो गए हैं. 

नरेन्द्र मोदी हैं किसान विरोधी 

तीन राज्यों में किसानों की लोन माफी से राहुल गांधी ने यहां भी बढ़त बना लिया है. उन्होंने यह नैरेटिव सफलतापूर्वक खड़ा कर दिया है कि नरेन्द्र मोदी उद्योगपतियों के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने उद्योग जगत के लोगों के 3 लाख करोड़ का लोन माफ किया है. राहुल गांधी के लोन माफी को लेकर अब भाजपा असहज भी दिखने लगी है. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मामले में राहुल गांधी के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है. लेकिन भाजपा की घबराहट अब स्पष्ट झलकने लगी है. हाल ही में भाजपा शासित राज्य असम और गुजरात ने भी किसानों के कृषि लोन और बिजली बिल माफ किए हैं.

इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के खिलाफ बहुत हद तक माहौल बनाने में सफलता पायी है, जिसका असर हमें यूनिवर्सल बेसिक इनकम और मोदी सरकार के मंत्रियों की लगातार बैठक के रूप में देखने को मिल रहा है. 2018 का साल राहुल गांधी और कांग्रेस के राजनीतिक पुर्नजागरण का वर्ष रहा. इस वर्ष के  राजनीतिक सफलताओं के जरिये 2019 की तैयारी भी करनी है, इसलिए चुनौतियां अभी बाकी हैं.  
 

 

Web Title: Rahul Gandhi takes political lead in 2018 from PM Narendra Modi and BJP

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