'सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में, किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है', यहां पढ़ें राहत इंदौरी की यादगार शायरी

By मुकेश मिश्रा | Published: August 11, 2020 06:41 PM2020-08-11T18:41:00+5:302020-08-11T18:41:00+5:30

राहत इंदौरी के डॉक्टर रवि डोसी का कहना है कि उन्हें दोनों फेफड़ों में निमोनिया था। सांस लेने में तकलीफ के चलते आईसीयू में रखा गया है। दोपहर में उन्हें तीन बार दिल का दौरा पड़ा और करीब 4 बजाकर 40 मिनट पर उन्होने अंतिम सांस ली।

Rahat Indori passes away: read here the memorable poetry of Rahat Indouri | 'सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में, किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है', यहां पढ़ें राहत इंदौरी की यादगार शायरी

राहत इंदौरी के निधन की खबर मिलते ही देश और दुनिया भर में उनके चाहने वालों को गहरा सदमा लगा है।

Highlightsकोरोना संक्रमण की चपेट में आए मशहूर शायर राहत इंदौरी अब हमारे बीच नहीं रहे।मंगलवार शाम को उनका इलाज के दौरान अरविन्दों हॉस्पिटल में उनकी मौत हो गयी।

भोपाल: कोरोना संक्रमण की चपेट में आए मशहूर शायर राहत इंदौरी अब हमारे बीच नहीं रहे। मंगलवार शाम को उनका इलाज के दौरान अरविन्दों हॉस्पिटल में उनकी मौत हो गयी। बताया जाता है कि उन्हें तीन बार दिल का दौरा पड़ा। जिससे उनकी मृत्यु हो गयी। राहत इंदौरी के निधन की खबर मिलते ही देश और दुनिया भर में उनके चाहने वालों को गहरा सदमा लगा है।

राहत इंदौरी के निधन की खबर सुनने के बाद उनके चाहने वालों में मायुसी छा गई। जैसे ही सुबह राहत इन्दौरी ने कोरोना संक्रमित होने की जानकारी दी थी उसके बाद से लोग उनके स्वस्थ होने की लगातार दुआ मांग रहे थे। 

राहत इंदौरी ने लगभर दो दर्जन फ़िल्मों में गीत लिखे। उनके प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्म गीत कुछ इस प्रकार हैं-

    आज हमने दिल का हर किस्सा (फ़िल्म- सर)

    तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है (फ़िल्म- खुद्दार)

    खत लिखना हमें खत लिखना (फ़िल्म- खुद्दार)

    रात क्या मांगे एक सितारा (फ़िल्म- खुद्दार)

    दिल को हज़ार बार रोका (फ़िल्म- मर्डर)

    एम बोले तो मैं मास्टर (फ़िल्म- मुन्नाभाई एमबीबीएस)

    धुंआ धुंआ (फ़िल्म- मिशन कश्मीर)

    ये रिश्ता क्या कहलाता है (फ़िल्म- मीनाक्षी)

    चोरी-चोरी जब नज़रें मिलीं (फ़िल्म- करीब)

    देखो-देखो जानम हम दिल (फ़िल्म- इश्क़)

    नींद चुरायी मेरी (फ़िल्म- इश्क़)

    मुर्शिदा (फ़िल्म - बेगम जान)

प्रसिद्ध ग़ज़ल

अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है

 लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है

 मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है

हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है

जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है

सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है

Web Title: Rahat Indori passes away: read here the memorable poetry of Rahat Indouri

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