राघोपुर विधानसभा क्षेत्र: तेजस्वी यादव ने रचा इतिहास, भाजपा के सतीश कुमार को 37456 वोटों से दी मात
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 10, 2020 11:34 PM2020-11-10T23:34:21+5:302020-11-11T01:56:35+5:30
तेजस्वी महागठबंधन के सीएम प्रत्याशी हैं। तेजस्वी को 96619 और भाजपा के सतीश कुमार को 59163 वोट मिले। लोजपा प्रत्याशी 24944 के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
पटनाः राघोपुर विधानसभा पर राजद का कब्जा बरकरार रहा। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने भाजपा को 37456 वोटों से हराया।
तेजस्वी यादव 2015 में भी इसी सीट से विधायक बने थे। तब भी सतीश कुमार को हराया था। सतीश कुमार ने 2010 में राज्य के पूर्व सीएम राबड़ी देवी को हरा चुके हैं। तेजस्वी महागठबंधन के सीएम प्रत्याशी हैं। तेजस्वी को 96619 और भाजपा के सतीश कुमार को 59163 वोट मिले। लोजपा प्रत्याशी 24944 के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
राजद नेता तेजस्वी यादव राघोपुर सीट से जीत गए हैं। चुनाव परिणाम मंगलवार देर रात घोषित हुआ। चुनाव आयोग के मुताबिक तेजस्वी ने भारतीय जनता पार्टी के सतीश कुमार को हराया। तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी 21,000 से भी अधिक मतों से हसनपुर सीट से जीते हैं। राघोपुर सीट का प्रतिनिधित्व पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और राबड़ी देवी कर चुके हैं।
तेजस्वी यादव (31) 2015 में भी इस सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे और जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में उपमुख्यमंत्री बने थे। उस समय तेजस्वी नीतीश कुमार को ‘चाचा’ कहकर संबोधित किया करते थे, लेकिन नीतीश की पार्टी के साथ उनका गठबंधन 2017 में टूट गया और अब तेजस्वी मुख्यमंत्री पद के लिए अपने ‘चाचा’ को चुनौती दे रहे हैं।
महागठबंधन ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वास्तव में बैठ पाना इस बात पर निर्भर करेगा कि तेजस्वी अपनी सीट से चुनाव जीतते हैं या नहीं। राजद, कांग्रेस और वाम दल महागठबंधन का हिस्सा हैं। राघोपुर सीट यादव बहुल क्षेत्र है, जिससे लालू प्रसाद ने 1995, 2000 और उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने 2005 में चुनाव जीता था। भाजपा के सतीश कुमार ने 2010 विधानसभा चुनाव में राबड़ी देवी को शिकस्त दी थी, लेकिन वह 2015 में तेजस्वी के हाथों हार गए थे। उस समय तेजस्वी राजद, जद(यू) और कांग्रेस के गठबंधन की ओर से उम्मीदवार थे, जबकि भाजपा चुनावी मैदान में अकेले उतरी थी। इस बार समीकरण बदल गए थे।