राफेल डीलः 'केन्द्र ने SC के साथ छल किया', सरकार ने कहा- नहीं छुपाया कोई फैक्ट, सुनवाई आज

By रामदीप मिश्रा | Published: May 10, 2019 10:52 AM2019-05-10T10:52:01+5:302019-05-10T10:52:01+5:30

केंद्र सरकार का कहना है कि उसने सर्वोच्च अदालत में कभी भी गलत दस्तावेज जमा नहीं किए। इस मामले में सुनवाई एसी आज करेगा। बता दें कि राफेल मामले पर दो पूर्व मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत में दाखिल जवाबी हलफनामा दायर किया था।

Rafale deal: No facts hidden says Government in supreme court | राफेल डीलः 'केन्द्र ने SC के साथ छल किया', सरकार ने कहा- नहीं छुपाया कोई फैक्ट, सुनवाई आज

फाइल फोटो

उच्चतम न्यायालय में गुरुवार को दावा किया कि राफेल लड़ाकू विमान डील मामले में अपने पक्ष में फैसला करने के लिए केन्द्र ने शीर्ष अदालत के साथ छल किया। इस पर सरकार ने जवाब दिया है कि यह पूरी तरह से गलत और उनका स्पष्टीकरण विरोधाभासी है। रक्षा मंत्रालय में महानिदेशक द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में दी गई जानकारी रिकॉर्ड पर आधारित हैं।

केंद्र सरकार का कहना है कि उसने सर्वोच्च अदालत में कभी भी गलत दस्तावेज जमा नहीं किए। इस मामले में सुनवाई एसी आज करेगा। बता दें कि राफेल मामले पर दो पूर्व मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत में दाखिल जवाबी हलफनामा दायर किया था।

इन याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार होना चाहिए क्योंकि केन्द्र ने अनेक प्रासंगिक और महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाकर यह निर्णय प्राप्त किया है। जवाबी हलफनामे में कहा गया है कि सरकार न्यायालय को अभी भी सारी जानकारी नहीं दे रही है और इस तरह वह तथ्यों को छिपा रही है। याचिकाकर्ताओं ने इस सौदे से संबंधित सारी सामग्री न्यायालय के समक्ष पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। 

हलफनामे में कहा गया है, ‘‘यह स्पष्ट है कि सरकार ने सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को सौंपे गये नोट्स के विभिन्न बिन्दुओं पर गुमराह किया है। सरकार ने न्यायालय से महत्वपूर्ण सामग्री और प्रासंगिक जानकारी छिपाई और सरकार द्वारा किये गये छल के आधार पर यह फैसला प्राप्त किया गया।’’ 

पूर्व मंत्रियों और अधिवक्ता भूषण ने केन्द्र के जवाब के प्रत्युत्तर में यह हलफनामा दाखिल किया है। सरकार ने पिछले सप्ताह न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि दिसंबर, 2018 के फैसले में शीर्ष अदालत के स्पष्ट निष्कर्ष में ऐसी कोई त्रुटि नहीं है जिसके लिये इस पर पुनर्विचार किया जाये। 

केन्द्र ने कहा था कि याचिकाकर्ता फैसले पर पुनर्विचार की आड़ में कुछ प्रेस रिपोर्ट और अनधिकृत रूप से हासिल की गयी अधूरी आंतरिक नोटिंग का सहारा लेकर सारे मामले को फिर से नहीं खुलवा सकते क्योंकि पुनर्विचार याचिका का दायर बहुत ही सीमित है। 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ शुक्रवार को शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच के लिये यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी, प्रशांत भूषण की याचिका खारिज कर दी थी।

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वे ऐसी सामग्री सामने लाये हैं जिससे पता चलता है कि इस खरीद में अनेक कठिनाइयां थीं। याचिकाकर्ताओं के हलफनामे में कहा गया है, ‘‘अभी भी सरकार यह नहीं बता रही है कि सीलबंद लिफाफे में सौंपे गये विवरण के अलावा भी शुचिता, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार पर निगाह रखने संबंधी कुछ उपबंधों को हटाने के लिये सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति की सितंबर, 2016 में एक बार फिर बैठक हुयी थी।’’ 

याचिकाकर्ताओं ने राफेल सौदे में उनकी चार अक्टूबर, 2018 की शिकायत पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो को कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। हलफनामे में कहा गया है कि उनके इस अनुरोध पर विचार नहीं किया गया और याचिका इसलिए खारिज कर दी गयी कि मानो वे इस सौदे को रद्द करने या इसकी समीक्षा करने का अनुरोध कर रहे थे। 

हलफनामे के अनुसार संविधान पीठ के फैसले में कहा गया है कि यदि शिकायत में पहली नजर में संज्ञेय अपराध का पता चलता है तो अनिवार्य रूप से प्राथमिकी दर्ज करके मामले की जांच करनी होगी। 
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के आधार पर)

Web Title: Rafale deal: No facts hidden says Government in supreme court

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