Pulwama Terrorist Attack: अलग तरीका अपनाया था आतंकवादियों ने, आतंकी हमले के नए ट्रेंड से बढ़ी चिंता!
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 15, 2019 08:55 AM2019-02-15T08:55:07+5:302019-02-15T08:55:07+5:30
पुलवामा आतंकी हमला: सीआरपीएफ के पूर्व डीजी दिलीप त्रिवेदी के अनुसार सीआरपीएफ के काफिले पर ऐसा हमला इसके पहले कभी भी नहीं हुआ था. पुलवामा में जवानों पर हुआ यह हमला अब तक के सभी हमलों से बिल्कुल अलग और नया था.
नई दिल्ली, 15 फरवरी: आतंकवाद का यह नया तरीका बेहद खतरनाक साबित हो सकता है और ये हमला आतंकवाद के एक बेहद खतरनाक इरादे की ओर इशारा करता है. पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले के नए तरीके ने सुरक्षाबलों की चिंता बढ़ा दी है. सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
सर्जिकल स्ट्राइक के समय नॉर्दन आर्मी कमांडर रहे लेफ्टिनंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा (रिटायर्ड) ने कहा कि आतंकियों का इस तरीके से हमला करना नया ट्रेंड है. 2001 में जम्मू-कश्मीर सचिवालय में इस तरह से अटैक हुआ था और फिर 2005 में भी इस तरह के 3-4 अटैक हुए थे. लेकिन उसके बाद से इस तरह का कोई अटैक नहीं हुआ. जम्मू-कश्मीर में आमतौर पर फिदायीन हमलावर नहीं दिखते, लेकिन आज जो हुआ, वह बहुत चिंताजनक ट्रेंड है. जनरल हुड्डा ने कहा कि यह कहना कि हालात ठीक हो रहे हैं, इससे काम नहीं होगा. ऐसा नहीं है कि सब ठीक हो रहा है. नए आतंकियों की भर्ती भी बढ़ रही है. एक वरिष्ठ सेना अधिकरी ने कहा कि पहले जब काफिला चलता था, तब बीच में सिविल गाडि़यों को नहीं आने देते थे. लेकिन हालात ठीक हो रहे थे तो काफिले के बीच में आगे-पीछे सिविल गाडि़यां भी चलती रहती हैं, जो खतरनाक साबित हुआ.
सर्जिकल स्ट्राइक के हो-हल्ले का नुकसान! - एक अधिकरी ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक से हमें दो वर्ष की शांति मिली. सर्जिकल स्ट्राइक में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था, तो अब नए आतंकी आ गए हैं. उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तान के सैनिक नहीं मरे थे, सैनिकों पर तो ऐक्शन कम हुआ है. अब यह सोचना होगा कि हम पाकिस्तान को कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं. आतंकी मरते रहेंगे तो उससे पाकिस्तान को कोई फर्क नहीं पड़ता है. उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक का इतना हो-हल्ला कर दिया गया कि अब कोई सरप्राइज नहीं बचा है. अब सरप्राइज नहीं रहने से तुरंत ऐक्शन लेने में सरकार के लिए दिक्कत आएगी. अब तो जितने भी आतंकी बॉर्डर या एलओसी के आसपास होंगे, वह पीछे की ओर चले जाएंगे.