NIA ने खोज निकाली पुलवामा हमले में इस्तेमाल विस्फोटक कार की चाबी, हो रहा साजिश का पर्दाफाश!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 3, 2019 09:43 AM2019-03-03T09:43:06+5:302019-03-03T09:43:06+5:30
Pulwama Attack News: बीती 20 फरवरी को जांच एजेंसी ने घटनास्थल पर एकबार फिर जाकर जांच-पड़ताल की। मेटल डिटेक्टर की मदद से घटनास्थल के करीब 200 मीटर के दायरे की छानबीन करने पर एनआईए के हाथ कार की चाबी लगी। एनआईए कार की चाबी से पता लगाने सफल रही है कि कार को 2011 में खरीदा गया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को पुलवामा आतंकी हमले में इस्तेमाल की गई कार की चाबी मिली है। बीती 20 फरवरी को जांच एजेंसी ने घटनास्थल पर एकबार फिर जाकर जांच-पड़ताल की। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक मेटल डिटेक्टर की मदद से घटनास्थल के करीब 200 मीटर के दायरे की छानबीन करने पर एनआईए के हाथ कार की चाबी लगी। एनआईए कार की चाबी से पता लगाने सफल रही है कि कार को 2011 में खरीदा गया था। अब चाबी की मदद से कार के पहले मालिक का पता लगाया जा रहा है। बता दें कि बीती 14 फरवरी को दिन के करीब साढ़े तीन बजे लाल रंग की मारुति ईको कार के जरिये जैश-ए-मोहम्मद के कथित आतंकी आदिल अहमद डार ने फिदायीन हमले को अंजाम दिया था। हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद गए थे। धमाका इतना भयानक था कि सीआरपीएफ की एक बस चकनाचूर हो गई थी और कार लगभग घायब हो गई थी।
एनआईए, जम्मू-कश्मीर पुलिस और फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने कई दिनों तक पड़ताल करके गाड़ी के मालिक के बारे में सबूत जुटाए। पहले वे कार का बंपर हासिल करने में कामयाब रहे थे। उन्हें शॉक ऑब्जर्वर के हिस्से मिले थे। इसमें 25 लीटर की एक केन मिली थी जिसको लेकर आशंका है कि उसमें 30 किलोग्राम आरडीएक्स भरकर ले जाया गया था। इन हिस्सों को इकट्ठा कर एनआईए मारुति के इंजीनियरों की एक टीम पुलवामा ले गई। इंजीनियरों ने बताया कि कार 2011 मैन्युफेक्चर की गई थी। इसके बाद एनआईए की टीम ने ढाई हजारों कारों को छांटने का काम शुरू किया। एनआईए के एक जांचकर्ता के मुताबिक, ''तब हमें कार के संभावित मालिकों के बारे में अंदाजा लगा पाए लेकिन सामान्य प्रक्रिया के जरिये असली मालिक तक पहुंचने में अब भी हफ्तों लगने वाले थे।"
एक अधिकारी ने बताया कि तब एनआईए की टीम पुलवामा वापस गई। ''हमें लगा कि धमाके से उड़ा मलबा राजमार्ग तक ही सीमित नहीं हो सकता है वह आसपास के इलके में काफी दूर तक फैला होगा। फिर हमने आसपास के करीब 200 मीटर के दायरे को मेटल डिटेक्टर से जांचने का फैसला किया और हमें चाबी मिली।''
सूत्रों के मुताबिक, चेसिस नंबर वाली कार की चाबी ने वाहन पहचान संख्या (VIN) की पहचान करने में मदद की। इसमें जिसमें 19 अक्षर होते हैं। हर कार के लिए यह एक खास नंबर होता है। इस मामले में अल्फान्यूमेरिक कोड ने कार के पहले मालिक को ट्रैक करने में मदद की।
एनआईए के सूत्रों के मुताबिक 22 वर्षीय भट ने हमले से महज 10 दिन पहले कार को खरीदा था इसलिए बहुत संभावना है कि कार को हमले के मकसद से ही खरीदा गया था। कार की बिक्री में एक बिचौलिया भी था जिससे एनआईए पूछताछ कर रही है।
भट के सूत्रों के मुताबिक वह घाटी में पिछले दो वर्षों से आतंकी गुटों से जुड़ा हुआ है। जांचकर्ता पता लगा रहे हैं कि वह कब जैश-ए-मोहम्मद और डार के संपर्क में आया था। एनआईए ने 23 फरवरी को उसके घर की तलाशी ली थी, तभी से वह फरार है।