कश्मीर में इतने सालों के बाद भी खतरा हैं मानव बम, पुलवामा हमले के लिए किया गया था इसी का इस्तेमाल
By सुरेश एस डुग्गर | Published: February 14, 2020 04:44 PM2020-02-14T16:44:12+5:302020-02-14T16:44:33+5:30
कश्मीर में मानव बमों के बारे में तो अब हर दिन नई चेतावनी दी जाने लगी है। इससे अक्सर दहशत का माहौल बनता रहता है जबकि यह एक सच्चाई है कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबल अब तक कितने मानव बमों के हमलों को सहन कर चुके हैं अब किसी को याद नहीं है।
कश्मीर में फैले आतंकवाद के इतने सालों के बाद भी मानव बम कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों के लिए खतरे के तौर पर ही निरूपित किए जाते रहे हैं। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि पुलवामा हमले ने मानव बमों के इस्तेमाल को इस हालात तक पहुंचा दिया कि अभी तक इसका कोई तोड़ सुरक्षाधिकारी तलाश नहीं कर पाए हैं।
कश्मीर में मानव बमों के बारे में तो अब हर दिन नई चेतावनी दी जाने लगी है। इससे अक्सर दहशत का माहौल बनता रहता है जबकि यह एक सच्चाई है कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबल अब तक कितने मानव बमों के हमलों को सहन कर चुके हैं अब किसी को याद नहीं है।
अभी तक आत्मघाती हमलों से सांसत में फंसे हुए सुरक्षाबल उनसे निपटने के 100 प्रतिशत सफल तरीकों को खोज नहीं पाए हैं। यही हाल मानव बमों के प्रति है क्योंकि सभी को मानब बमों के हमलों के रूप में नई मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। कश्मीर में जो सर्वप्रथम दो मानव बम हमले हुए थे उनमें एक वर्ष 2000 की 25 दिसम्बर को हुआ था इसमें हमलावर मानव बम समेत 11 लोगांे की मौत हो गई थी तो पहला भी इसी साल 19 अप्रैल को हुआ था। तब मानव बम अकेला ही मारा गया था। ताजा मानव बम हमला पुलवामा में पिछले साल 14 फरवरी को हुआ इसमें 50 से अधिक सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। इसे स्थानीय कश्मीरी ने अंजाम दिया था।
मानव बम के हमलों से कश्मीर में हमेशा दहशत का माहौल रहा है। इसके चलते कई बार सुरक्षाकर्मी आम नागरिक की जामा तलाशी लेते हुए हिचकिचाते हैं कि कहीं वह मानव बम न हो तो राह चलते लोगों को एक दूसरे से ठीक इसी प्रकार का भय रहता है।
अब जबकि इन सालों में अनेकों मानव बम हमले सेना के ठिकानों को उड़ाने के लिए हो चुके हैं, ऐसे में भविष्य में उनके हमले और अधिक बढ़ने की आशंका इसलिए भी है क्योंकि जैश-ए-मुहम्मद गुट ऐसे मानव बमों के हमलों की झड़ी लगाने की बात करता रहा है।
अधिकारी इंकार नहीं करते कि कश्मीर में किसी भी समय मानव बमों के हमलों में वृद्धि हो सकती है क्योंकि आतंकी गुटांे ने अब उन्होंने स्थानीय युवकों को भी इसके लिए तैयार करना आरंभ किया है।
मानव बमों से बचाव का साधन, जरीया और रास्तों की अभी तलाश जारी है। शहरों, कस्बों आदि में घूमने वाले आतंकियों में से कौन मानव बम के रूप में प्रश्क्षिित होगा कहा नहीं जा सकता। मानव बमों को तलाश करने की कठिनाई इसलिए आती है क्योंकि आतंकियों द्वारा मानव बमों के लिए आरडीएक्स के स्थान पर टीएनटी विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाने लगा है जो मेटल डिटेक्टर की पकड़ में नहीं आता है।