मोदी सरकार में लोक शिकायतों के फैसलों में आई तेजी, 83% मामलों में भारी पड़े शिकायतकर्ता
By नितिन अग्रवाल | Published: July 7, 2020 07:04 AM2020-07-07T07:04:00+5:302020-07-07T07:04:55+5:30
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले कार्मिक एंव लोक शिकायत मंत्रालय (डीओपीटी) के पास आने वाली शिकायतों में से 75 प्रतिशत का समाधान शिकायतकर्ता के पक्ष में ही हुआ.
नई दिल्ली: मोदी सरकार के कार्यकाल में सरकारी विभागों के कामकाज के तौर तरीकों में ही नहीं बल्कि जन सुनवाई में भी सुधार हुआ है. सरकारी महकमों के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर भी फैसले तेजी से लिए जा रहे हैं और ज्यादातर फैसले शिकायकर्ता के पक्ष में हो रहे हैं. निदेशालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार सरकारी महकमों के खिलाफ शिकायतों में से 83 फीसदी मामलों में शिकायतकर्ता का पल्ला ही भारी रहा.
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले कार्मिक एंव लोक शिकायत मंत्रालय (डीओपीटी) के पास आने वाली शिकायतों में से 75 प्रतिशत का समाधान शिकायतकर्ता के पक्ष में ही हुआ. जबकि 8 प्रतिशत मामलों में शिकायतकर्ता और आरोपी दोनों के बीच सुलह हो गई. हालांकि शेष 17 प्रतिशत मामलों ऐसे थे जिनमें शिकायत को कार्रवाई के लिए उपयुक्त नहीं माना गया.
कोविड वायरस के संक्रमण काल में शुरू हुए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान लोक शिकायत विभाग के पास 21 क्षेत्रों से जुड़ी 4114 शिकायतें दर्ज कराई गईं. 1 अप्रैल से 30 जून के दौरान लगभग 1150 यानी 28 % से अधिक का समाधान तिमाही पूरी होने से पहले ही कर दिया गया. जबकि 3465 को दूसरे संबंधित मंत्रालयों और विभागों को आगे की जांच या कार्रवाई के लिए भेजा गया.
कोविड काल में कम आई शिकायतें
लॉकडाउन के चलते सरकारी विभागों में सामान्य कामकाज नहीं होने के चलते इस वर्ष पहली तिमाही में लगभग दो तिहाई शिकायतें ही दर्ज कराई गई. पिछले दो वित्त वर्ष के दौरान पहली तिमाही के दौरान दर्ज होने वाली शिकायतों की संख्या 6000 से अधिक होती है, लेकिन इस बार केवल 4114 शिकायतें ही आईं. इससे पहले पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में विभाग को लगभग 22,000 शिकायतें मिली. जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में 17,300 से अधिक शिकायतें मिली थीं. कोविड काल में सबसे अधिक शिकायतों वाले सेक्टर सेक्टर शिकायतें बैंकिग 774 टेलीकम्युनिकेशन 488 रेलवे 441 प्राविडेंट फंड 376 इंश्योरेंस 295 शिक्षा 159 नागरिक उड्डयन 139 पेट्रोलियम 110 शिकायतें मिलीं।