केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा- भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्र पूरी तरह सुरक्षित, लोगों का भ्रम दूर करने की जरूरत
By भाषा | Published: October 19, 2019 05:48 AM2019-10-19T05:48:02+5:302019-10-19T05:48:02+5:30
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री और परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे सिंह ने कहा, ‘‘भारत होमी भाभा के परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लक्ष्य पर कायम है। हम सब्जियों का जीवन काल बढ़ाने तथा चिकित्सा समेत विभिन्न क्षेत्रों में इसका व्यापक उपयोग कर रहे हैं।’’
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को लेकर आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि देश परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के अपने वादे पर कायम है और परमाणु ऊर्जा के हमारे संयंत्र पूरी तरह सुरक्षित तथा बेहतर हैं। उन्होंने कहा कि हम चिकित्सा समेत विभिन्न क्षेत्रों में इसका उपयोग कर रहे हैं और यह पूरी तरह सुरक्षित है। मंत्री ने परमाणु ऊर्जा को लेकर लोगों का भ्रम दूर करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा एक बड़ा स्रोत है।
‘इंडिया एनर्जी फोरम’ के 11वें परमाणु ऊर्जा सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री और परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे सिंह ने कहा, ‘‘भारत होमी भाभा के परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लक्ष्य पर कायम है। हम सब्जियों का जीवन काल बढ़ाने तथा चिकित्सा समेत विभिन्न क्षेत्रों में इसका व्यापक उपयोग कर रहे हैं।’’
उन्होंने इस संदर्भ में गुवाहाटी के डाक्टर बी. बरूआ कैंसर इंस्टीट्यूट का जिक्र करते हुए कहा कि इसे मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर फॉर कैंसर के साथ जोड़ा गया है। इसके अलावा परमाणु ऊर्जा विभाग कई प्रमुख सरकारी योजनाओं को लागू करने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
नये परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के बारे में सिंह ने कहा, ‘‘ हमारे ज्यादातर परमाणु संयंत्र दक्षिण भारत में हैं। हमने इसका विस्तार शुरू किया है। हम हरियाणा के गोरखपुर में परमाणु संयंत्र लगा रहे हैं। मेघालय जैसे पूर्वोत्तर राज्य में यूरेनियम का बड़ा स्रोत हैं जिसके उपयोग की जरूरत है।’’
कार्मिक मंत्रालय और पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सिंह ने कहा, ‘‘नई परियोजनाएं लगाने में समस्या है। हाल में राजस्थान में ऐसा देखने को मिला। आप कहीं भी संयंत्र लगायें, 48 घंटे के भीतर कोई बयान आ जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ लोगों को समझने की जरूरत है। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में कितने वैज्ञानिक रेडिएशन से मरे? एक भी मामला ऐसा नहीं हुआ है। पश्चिम देशों में रिहायशी इलाकों में भी परमाणु संयंत्र बन रहे है। हमारे संयंत्र इस लिहाज से काफी बेहतर और सुरक्षित हैं। हमारे वैज्ञानिक इसको लेकर पूरा एहतियात बरतते है।’’
उन्होंने सोशल मीडिया आदि के जरिये परमाणु ऊर्जा के बेहतर उपयोग को लेकर जानकारी का प्रचार-प्रसार करने पर जोर दिया। मंत्री ने कहा कि परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग दोनों का मुख्यालय दिल्ली से बाहर है। ‘‘ऐसे में छात्रों और आम जनता को परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल के बारे में जानकारी देने के लिए दिल्ली के प्रगति मैदान में ‘हॉल ऑफ न्यूक्लिर एनर्जी’ खोला गया था। अंतरिक्ष विभाग के लिए भी ऐसा ही एक हॉल खोले जाने की योजना है।’’
परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव और परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के अध्यक्ष डॉ. के.एन. व्यास ने इस अवसर पर कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन गंभीर रूप ले रहा है। मानवता के लिए ये बड़ा खतरा है। यदि सब कुछ ऐसा ही चलता रहा, तो आगे स्थितियां बिगड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि बढ़ते वैश्विक तापमान को रोकने के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल सबसे बेहतर विकल्प है।’’
एईसी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोडकर ने कहा कि परमाणु ऊर्जा के लिए हमारा बड़े पैमाने पर यूरेनियम आयात करना सही नहीं होगा। ऐसा करने से परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का खर्च बढ़ जाएगा, इसलिए हमें कम संसाधनों के साथ ही इस दिशा में आगे बढ़ना होगा। सौर ऊर्जा इसके लिए बेहतर विकल्प है। भारत इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन कर स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा का निर्यात कर सकता है।